Wednesday, September 19, 2012

सिला

करते रह गए हम वफ़ा उनसे 
कर गए वो ज़फ़ा हमसे 
ना उफ़ निकली हमारी जुबां से
ना हमने कभी किया गिला उनसे

कि करके वफ़ा मिली उनसे ज़फ़ा
सिला मिला ये हमें हमारी मोहब्बत का
नाशुक्रे बनकर वो हमें बेज़ार कर गए
बेजुबान बन हम बस देखते रह गए

हम ख्वाब यह देखते रह गए
कि आशियाँ उनकी जुल्फों में बनाएंगे 
वो तो काफ़िला उठा कर चले गए
और हम खामोश खड़े बस देखते गए

ज़ुत्सजु आशिकी की हमारी
हमें बेगैरत कर गयी
उनकी डोली को कंधा हम दे आये
पर वो हमारे जनाज़े पर नहीं आई||

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