Wednesday, December 14, 2016

विमुद्रीकरण पर सिकी राजनीति की रोटी

विमुद्रीकरण किस प्रकार चिंता जनक है 
कि विमुद्रीकरण की कतार में हुई मृत्यु 
एक राजनितिक पहलू बन जाता है 
बिना किसी पुष्टिकरण है 
पत्राचार का एक बन जाता है 

इन बुद्धिजीविओं से विनती है 
यदि तुम चाहते हो ऐसे ही विषय 
तो जरा ध्यान लगाना दक्षिण में 
कुछ वहां भी सिधार गए है 
अम्मा के निधन के समाचार से 

कुछ इन पहलुओं पर भी करना विचार 
कि होते है निधन के और भी कारक 
और यदि विमुद्रीकरण है कारक 
तो हर वह कारक निधन का 
जड़ से समाप्त करने की करो तुम मांग 

क्या इससे पहले कभी कोई कतार में नहीं लगा 
क्या नहीं हुआ निधन किसी का किसी कतार में 
अरे बुद्धिजीविओं, क्यों जाते हो भूल 
जाने कितने ही सिधार गए है राशन की कतार में 
कभी तुमने वहां तो स्वरोच्चारित नहीं किया 

जाने कितने सिधार गए कहीं किसी कतार में 
नहीं सुनी मैंने कहीं मांग 
उस कटारट के कारक को समाप्त करने की 
आज क्या योजन है की अकस्मात ही 
सारे बुद्धिजीवी जाग उठे 

कहीं किसी का निधन एक शुन्य सा लगता है 
कहीं किसी परिवार में जब अपना सिधार जाता है 
ऐसे पहलुओं पर जरा तुम विचार करना 
अपनी राजनीति की रोटी सेकने तुम 
किसी मृत की चिता पर मगरमच्छ के आंसू ना बहाना।।

Effects of Demonetization

Some call it demonization
Some call it normalization
When I looked at it
It seemed to be Demonetization

That was the day to remember
When color of money became amber
Though it was black of white
With recall it lost its shine

Jobs were lost expenses were tight
Make ends meet was tough to abide
Forecasts were dim
For money was everyone's plight

ATMs ran dry without any cash
Still hoarders could have it stashed
Raids unearthed huge chunk of money
It seemed like beehives loaded with honey

Still there seems to be no reprieve
Common man has to still grieve
Jobs were lost, markets were slow
Lack of money had that hard blow

Mismanagement is some called as culprit
Size of note was also identified as misfit
But the biggest case was of back channel
That proved to be a pretty nice canal

Money flowed, it flowed to agents
No, it didn't flow to the real claimants
Road to hell it did become
Demonetization was not that welcomed

Thursday, December 8, 2016

कैसे करे अब स्वयं को चैतन्य

आज की समय में कौन अपना है कौन पराया
कैसे पहचान करें किसमे राम किसमे रावण समाया
कैसे स्वयं को कोई चैतन्य करे
जब भगवान का मोल भी यहाँ पैसों में धरे
नहीं मिलता बिन माया के कुछ संसार में
बिन माया अपने भी दिखाते हैं बेग़ानो में
कैसे करे अब स्वयं को हम चैतन्य
कि अब रहते हैं रिश्तों की क़ब्र में
कहाँ जाएँ हम ढूँढने अपनों को
कि बिन माया अपने भी दिखाते हैं बेग़ानो में