Wednesday, May 21, 2014

तेरी यादें

उडी जो जुल्फें तेरी
मदहोश कर गईं
मिली जो नज़रें तेरी
गुमराह हमें कर गईं

सांसों की तेरी महक
हमारी तन्हाई ले गई
लबों पर थिरकती मुस्कराहट
हमें दिवाना कर गई

ना अब दिल को चैन है
ना रूह को है आराम
यादें तेरी बन एक जज्बा
हमारा इम्तिहान ले गई

Thursday, May 1, 2014

कान्हा तू अपनी बांसुरी सुना

कान्हा तेरी बांसुरी सुना
अपने लड़कपन की कहानी सुना
कहाँ गोपियों संग तू खेला बिरज में
कहाँ माखन चुराई तूने गोकुल में
कहाँ तूने बालपन बिताया
कान्हा तेरी बांसुरी सुना
अपने लड़कपन की कहानी सुना

अवतरित जो हुआ तू द्वापर में
कहाँ तुने अपना बालपन बिताया
कहाँ तुझे मैया ने आँचल में छुपाया
काल कोठारी में तू हुआ प्रकट
लांघ जमुनाजी तुझे द्वारिका पहुँचाया
सुना आज अपनी बांसुरी से
अपने बालपन की कहानी आज सुना

कान्हा तेरी बांसुरी सूना
आज अपने समय की कहानी दोहरा
लड़ असुरों से गोकुल बचाया
मार कंस को तूने मथुरा को पाया
चला चक्र सुदर्शन धरा को पाप विमुक्त कराया
अपनी धुन में ये कहानी सूना
कान्हा अपनी बांसुरी से अपनी कहानी सुना

तेरे योवन की आज तू कहानी सुना
रुक्मिणी से अपनी प्रेम की गाथा सुना
बना जो अर्जुन का तू सारथी
आज वो कहानी महाभारत की सुना
कान्हा आज तू अपनी कहानी सुना
अपनी बांसुरी के मद्धिम सुरों से
तू द्वापर की अपनी गाथा सुना 

कान्हा तू अपनी बांसुरी सूना
अपने जीवन की तू गाथा सूना||