Tuesday, September 4, 2012

अल्फाज़

अल्फाज़ ऐसे कुछ होते हैं
कि दिल को जो छू जाते हैं
कुछ दिल में बस जाते हैं
तो कुछ फांस बन चुभ जाते हैं

अल्फाज़ ऐसे ही कुछ उन्होंने कहे
कुछ ऐसे जो हमें अच्छे लगे
कुछ ऐसे जो हमें चुभ गए
उनकी तस्वीर तक बखेर गए

पर क्या करें शिकवा हम उनसे
कैसे पूछें उनसे अपनी खता
ना हम उनसे हुए कभी रूबरू
ना वो हमसे हुए कभी मुखातिब

कैसे कहें उनसे कि अल्फाज़ उनके
रुसवा कर गए हमारे अहसास
कर गए वो हमें ग़मगीन
कैसे कहें उनसे कि हम बेज़ार हो गए

ना उन्हें बेदर्द कह सकते हैं हम
ना कह सकते हैं बयान हाल-ऐ-दिल
अल्फाज़ कुछ ऐसे कहे उन्होंने
कि बेजुबान वो हमें कर गए

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