मेरे देश में देखो कितने भरे चोर
यहाँ बिन बरसात भी नाचे हैं मोर
चारो ओर बस एक ही शोर
घोर कलयुग है कलयुग है ये घोर
कहीं है मैडम, तो कहीं दीदी
तो कहीं है अम्मा का बोलबाला
राज में इनके देखो देश को
हर कोई कर रहा इसे सिर्फ खोखला
चारो ओर आज बसे हैं चोर
हर ओर बस एक ही शोर
भ्रष्ट है बाबू भ्रष्ट ये नेता
हर कोई अपनी है जेब भरता
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण
हर दिशा में है बस अब एक ही शोर
मेरे देश में आज हर तरफ
दिखते हैं केवल चोर ही चोर
लुट रही है इस धरा की धरोहर
लूटेरों के कृत्य से है ये धरा सराबोर
हर और आज गूँज रहा बस यही शोर
इस धरा पर राज कर रहे हैं चोर||
1 comment:
Good one.
Publish it in all the print media and broadcast it on the audio and video channels.
Most apt for the present day.
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