Tuesday, May 29, 2012

प्यार की सच्चाई

है मेरे प्यार की सच्चाई यही
जैसे मैं गम में हंसता रहूँ
मुझे वो गम भी अज़ीज़ है 
कि गम में उनकी याद है 
वो याद मुझे अज़ीज़ है 
कि याद में उनका अक्स है

गर खुदा ने किस्मत में यही लिखा है 
तो मैं मोहब्बत का परवाना बन जीता रहूँ
गर जिंदगी में यही बदा है 
तो मैं इश्क का नगमा गाता रहूँ
है मेरे प्यार की जीत इसीमें
वो सितम करे मैं हंसा करूँ

लिए हसरत-ऐ-आरज़ू उनकी
मैं सदा मुस्कुराता रहूँ
जिंदगी में गर यही बदा है 
तो में गम-ऐ-उल्फत में भी हंसता रहूँ
वो चाह कर मुझे चाह ना सके
मैं उनपर खुशी लुटाता रहूँ

उनकी खुशी में मुझे ये गम अज़ीज़ है
कि इस गम में उनकी याद है
वो याद मुझे अज़ीज़ है
कि उस याद में उनका हंसीं अक्स है
गर जिंदगी में खुदा ने ये बक्शा है
तो मैं इश्क का नगमा गाता रहूँ

1 comment:

Anonymous said...

ye hallat kitane ajeeb hein ki ab gam tujhe ajeej hein
kya kahein khatavar ko jab tera sitamgar tera rakeeb hai