Friday, May 18, 2012

तेरे नैनो की ये भाषा

तेरे नैनो की ये भाषा
लज्जा की हो जैसे परिभाषा
कोई जाने ना क्या है इनका संदेशा
कोई जाने ना कैसी है इनमें याचना

अंतर्मन में सुर तेरे ही नाद करें
ह्रदय में तेरे ही गीत गुनगुनाऊं
तू जो रहे साथ मेरे इस जीवन में
मैं तेरे ही गीत गाऊं
तू सुनती रहे ऐसे गीत मैं गाऊं
तेरे नैनो की ये भाषा, जाने कौन संदेशा बतलाती

स्वप्न तेरे मेरी निंदिया उडाए
रूप तेरा अंखियन में मंडराए
कैसे कोई भावनाओं को समझाए
ह्रदयमंथन में जीवन बीता जाए
आलिंगन में भर तुझे मैं जीना चाहूँ
कैसे तुझे मैं ये संदेशा बतलाऊं

जाने कौन घडी में तुझसे मैं बिछड जाऊं
बिछड कर ना जीवन में वापस मिल पाऊं
इस द्विविधा में मैं तुझसे ना मिल पाऊं
तेरे नैनो की भाषा मैं ना समझ पाऊं
तेरे नैनो की भाषा जैसे हो लज्जा की परिभाषा
जाने कौन संदेशा बतलाती, जाने क्यों इतना इठलाती

1 comment:

Anonymous said...

Naino kee bhaashaa to bas ek gaana yaad dilate hein -

nain lad jai hein to manva maa kasak hoi be kari