Thursday, May 3, 2012

हम उस देश के वासी हैं

हाथों की सफाई रहती है
जहाँ दिल में केख पुती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं 
जिस देश में महंगाई रुलाती है 

नेता जो हमारे होते हैं
वो जान के भूखे होते हैं
वोट का लालच है उनको  
जात का बटवारा करते हैं
हमारे लिए जो भारत माँ
सदियों से सभी कुछ लुटाती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में ये लूटेरे रहते हैं

वो लोग जो ज़्यादा लूटते हैं 
पैसे की ही भाषा जानते हैं
ये माया का जाल है, मायाजाल वाले 
हर जान की कीमत लगाते हैं
मार काट मचाओ और जेब भरो  
एक ध्यान यही जो रहता है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश मेंजातिवाद पलता है
हाथों की सफाई रहती है... 

जो ना मिला छीनना सिखा हमने 
अपनों को भी लूटा हमने
मतलब के लिये अन्धे होकर 
रिश्वत को ही पूजा हमने
अब तो क्या सारी दुनिया 
सारी दुनिया से कहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में रिश्वतखोरी रहती है

होठों पे गालियाँ रहती है 
जहां सच्चो की पिटाई होती है 
अनाज जो उगाना जानते हैं
वो भूखे ही सो जाते हैं
उनके पैसों से जहाँ नेता 
विदेश भ्रमण कर आते हैं 
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में कंगाली बहती है 

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मयंक

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