Tuesday, May 29, 2012

मोहब्बत का अफसाना

जिंदगी से दूर जिंदगी को रुखसत करने चला हूँ मैं
आज तेरी दुनिया से दूर चला हूँ मैं
खुश रहे तू, आबाद रहे तेरी दुनिया
अब और नहीं चाहत, तुझसे जुदा हो चला हूँ मैं

चाह कर भी तेरे साथ ना चल सका
ख्वाहिश थी पर तुझे ना पा सका
कोशिश थी मेरी कि हासिल तुझे करूँ 
पर किस्मत को कौन सीने से बाँध सका 

तुझसे दूर जिंदगी को रुखसत करने चला
आज मैं मोहब्बत की कब्र खोदने चला
सोचता था एक दिन शायद कभी
तू मोहब्बत के माने समझेगी
सोचता था कभी शायद
जिंदगी में तू मेरी अहमियत जानेगी

ना जानता था कभी इस कदर
तू मेरी मोहब्बत को बेआबरू करेगी
न कभी सोचा इस कदर 
कि तू मेरी मोहब्बत को बेज़ार करेगी
कि आज मैं तुझसे दूर जिंदगी को रुखसत करने चला
आज मैं अपनी मोहब्बत की मजार बनाने चला

जा ऐ हुस्ना जी तू अपनी जिंदगी 
जा तू करके रुसवा मेरी मोहब्बत
गर जिंदगी में हो कभी ये एहसास तुझे
गर लगे तुझे मेरी मोहब्बत का सिला पाक
तो बस इतना एहसान करना 
मेरे नाम का तू सजदा ना करना
ना ढूंढना मुझे तू इस जहाँ में कभी
कि ना दे पाऊंगा तुझे मैं कुछ 
कि आज मैं जिंदगी को रुखसत कर चला हूँ


प्यार की सच्चाई

है मेरे प्यार की सच्चाई यही
जैसे मैं गम में हंसता रहूँ
मुझे वो गम भी अज़ीज़ है 
कि गम में उनकी याद है 
वो याद मुझे अज़ीज़ है 
कि याद में उनका अक्स है

गर खुदा ने किस्मत में यही लिखा है 
तो मैं मोहब्बत का परवाना बन जीता रहूँ
गर जिंदगी में यही बदा है 
तो मैं इश्क का नगमा गाता रहूँ
है मेरे प्यार की जीत इसीमें
वो सितम करे मैं हंसा करूँ

लिए हसरत-ऐ-आरज़ू उनकी
मैं सदा मुस्कुराता रहूँ
जिंदगी में गर यही बदा है 
तो में गम-ऐ-उल्फत में भी हंसता रहूँ
वो चाह कर मुझे चाह ना सके
मैं उनपर खुशी लुटाता रहूँ

उनकी खुशी में मुझे ये गम अज़ीज़ है
कि इस गम में उनकी याद है
वो याद मुझे अज़ीज़ है
कि उस याद में उनका हंसीं अक्स है
गर जिंदगी में खुदा ने ये बक्शा है
तो मैं इश्क का नगमा गाता रहूँ

I will Bleed

My eyes are shedding tears, but you won't notice that
my heart's bleeding, but you won't feel that
I am hurting myself for loving you
But you would never know that
I would never let you know the depth of my love
I would let it always be a riddle to solve

I know it always puzzles you the most
When you try to look in my eyes
It always mesmerizes you 
The way I shy out for my eyes would speak
You look pretty amazed 
To know the truth buried in my heart

You look so pretty with those looks in your eyes
The looks that you try to read me with
I  love the way you look at me
But shy out for my eyes would speak
My eyes shed tears and heart's bleeding me to death
And I strive to not let you know 
The depth of my love
I vowed to never let you know 
Though my heart bleeds and I hurt myself

But for your happiness, I would kill myself
For you to live your life
I would live with my pain and agony
For you O'my love
I would never let my feelings explode
For you O'my love
I would burn the candles of the church

I will pray to the love angel
To bless you with your love least to say
I would live with my pain and agony
To see you happy in your life 
I would let my heart bleed and eyes shed tears
But for your love, I will not let my feelings explode
O' sweet or my love
I will bleed to light the lamp of your love.



श्वेत वर्ण - शान्ति या शोक


श्वेत वर्ण से ढँकी ये वादी, श्वेत तो  शान्ति का है प्रतीक 
आज ना जाने ये श्वेत दे रहा क्यों शोक सन्देश
लहुलुहान है ये धरती आज, सहमा है यहाँ जन जन 
सुनाई देती है हर ओर सिर्फ एक ही चिंघाड - रण रण रण 

देखता हूँ जब में भारत के मुकुट का ये हाल
सुनता हूँ हर और में नाच रहे नरमुंड और कंकाल
चीथड़े हाडमांस के नज़र आते हैं 
वीभत्स है धारा का श्रृंगार

जाने क्यों ये श्वेत धरा दे रही शोक सन्देश 
क्यों है ये आतंक यहाँ, किसका है ये अभिशाप
कौन है ये अहंकारी जो 
करा रहा इस पावन धरा को आदम का रक्तपान

श्वेत वर्ण से ढँकी ये वादी, लगती सूनी जैसे विधवा की मांग
नरसंहार कर रहा धरती की कोख उजाड
लहुलुहान है धरा आज, सहमा है कण कण 
सुनाई देती है हर ओर सिर्फ रण की ही चिंघाड 

Monday, May 28, 2012

इबादत

दिल में ले कर फ़रियाद हम तेरी
राह पर निकल पड़े हैं खुदा की
दर पर उसके टेक के माथा
इबादत में मांगेंगे तेरी खुशियाँ
दुआ है अब तो ये मौला से
कि मान ले अब वो आरज़ू तेरी
बहुत जद्दोजहद की तुने जिंदगी में 
अब तो अमन की जिंदगी दे मौला तुझको

फ़रियाद तेरी इबादत बनकर
पहुंचा दूंगा आज में खुदा तक
गुज़ारिश करूँगा खुदा से 
झुक के सामने उसके दरबार में
कि खुशियाँ तुझे लौटा दे अब
ना देर करे वो अब 
तेरे चमन में आने दे वो बहार
ना होने दे तेरी तमन्नाओं को बेज़ार

बहुत हो चुकी रुसवा तू जिंदगी से
अब जिंदगी से हंस दो बातें कर
कि राह पर निकल पड़े हैं हम खुदा की
करेंगे दुआ उससे तेरी खुशियों की
टेक माथा करेंगे ये इबादत
की दे खुशियाँ ता उम्र तुझे ना दे और गम
दिल में ले कर फ़रियाद हम तेरी
राह पर निकल पड़े हैं खुदा की

ख्वाब

आँखों में आज जो ख्वाब हैं
होठों पे आज  वो राग है
सच जो हुए सपने मेरे
जहाँ मेरा रंगीन है
मिल ही गई मंजिल मेरी
बाँहों में है जन्नत तेरी
ओ साजना, ओ मेरे सजना

खिल सी गयी जिंदगी की कली
गुजर गए वो लम्हात भी
सच जो हुए सपने मेरे
मिल ही गई मंजिल मेरी
होंठों पे आज गीत मेरे
आँखों में हैं ख्वाब तेरे

जाने ये कब हो गया
तेरा ही नशा अब छा गया
बाहों में तेरी जन्नत मिली
दिल में तेरे जो मंजिल मिली
सच जो हुए सपने मेरे
खिल सी गयी जिंदगी की कली

आँखों मैं आज सपने तेरे
बाहों में तेरी मंजिल मेरी||

Saturday, May 26, 2012

शत्रु का उन्माद

हिमालय की चोटी से शत्रु ने ललकारा है
आज बता दो बल कितना है भारत माँ के वीरों में
सीमा लांघ शत्रु चढ़ आया आज तुम्हारे द्वारे
मचा रहा इस धरती पर वो उद्दंड उत्पात

रणक्षेत्र में हुआ कोलाहल जागो भारत के वीरों
जाग अपनी निद्रा से भारत माँ की पुकार सुनो
लगा हुंकार रण की शत्रु ने तुम्हें ललकारा है
कर्णभेदी तोपों से उसने धरती का सीना चीर है

पंजाब में मचा उत्पात, संसद पर किया आक्रमण
गुजरात में कर हिंसक कृत्य, मुंबई का बहाया लहू
बाँट काश्मीर को धर्म के नाम पर, युद्ध का उन्माद किया
हिमालय की चोटी से आज फिर रण को ललकारा है

उठो भारत माँ के वीर सपूतों, बता दो आज शत्रु को
बल कितना है धरा के वीरो में, शत्रु को ये जता दो
याद उसे दिला दो कि हर बार उसने मुंह की खाई है
सन अडतालीस से कारगिल तक जग में हुई उसकी हंसाई है

आज बता दो उसको, बल भारत माँ के सपूतों का
आज चेता दो उसको रण क्षेत्र का सन्नाटा
दिखा दो उसको कितना बल तुम्हारे बाजुओं में है
जतला दो कि इस माटी को छूने वाला माटी में मिल जाएगा

उठो भारत माँ के सपूतों कि शत्रु ने आज ललकारा है
मचा युद्ध का कोहराम, रणक्षेत्र से तुम्हें पुकारा है
आज बता दो उसको की वो सदैव ये याद रखे
प्रयत्न कभी किया काश्मीर में, लहू के वो सागर पाएगा

पावन इस धरा पर अपने उद्दंडता पर पछताएगा
इस माटी पर जहां पैर रखेगा, वहीं ढेर हो जाएगा
हर बार हमसे टकरा कर वो चूर चूर हो जाएगा
इस माटी को छूने वाला माटी में मिल जाएगा




उठो भारत के निर्लज्ज कपूतों

पावन धरा पर राज करते कपूतों
अब तो निद्रगोश से निकलो
भटक रहा राष्ट्र में हर पथिक
अब तो अपने लोभ त्यागो


उठो भारत माता के निर्लज्ज कपूतों
कुछ तो संकोच करो
राष्ट्र निर्माण कार्य में
कुछ तो नव प्राण भरो


नव निर्माण कर इस धरा पर
जन जीवन का मार्ग दर्शन करो
उठो धरा के निर्लज्ज कपूतों
कुछ तो जीवन में संकोच करो


भोर भई नव दिवस की
नब युग का तुम संचार करो
प्रगति की ज्योत जला 
दुर्गम अंधियारा दूर करो


उठो धरा के निर्लज्ज कपूतों
कुछ तो अब तुम काज करो
राष्ट्र निर्माण में ध्या लगाकर
जन जन में नयी उमंग भरो


आज तुम अपने जीवन में
नयी एक तरंग भरो
गाँव गाँव में जाकर तुम
जन जीवन से न्याय करो


हर गाँव का अपना दुःख है 
हर गाँव का अपना ही रोना
उठो धरा के निर्लज्ज कपूतों
आज तुम उनके अश्रु पोंछो


नवयुग के संचार में तुम
वीणा सी एक तान भरो
नए रूप में, नए रंग में
प्रगतिशील राष्ट्र का निर्माण करो


उठो धरा पर राज कर रहे कपूतों
इस धरा का श्रृंगार करो
भविष्य सबका मंगलमय हो
इस प्रकार कुछ श्रजन करो


उठो भारत के निर्लज्ज कपूतों 
राष्ट्र कल्याण के लिए तुम 
श्रजन करो विद्या के पावन मंदिर
उठो धरा के निर्लज्ज कपूतों 
शत शर दीप जला ज्ञान के
सुनहरे भविष्य का आह्वान करो
उठो धरा के निर्लज्ज कपूतों
त्याग लोभ नवयुग का आह्वान करो||

हृद्याग्नी

जीवन में झेले दुःख अत्यंत
सुख की नहीं मुझे कोई आशा
अश्रुओं से में अपने 
हृदयाग्नी भडकाता हूँ
कुछ ऐसे ही मैं इस संसार में 
अपना जीवन यापन करता हूँ

ना ही अब कोई आस है
ना ही निरास जीवन से कोई भय
निर्मोही निरंकार हो चला मैं 
अपने ही ह्रदय को आहात करता हूँ
ना मैं औषध ढूँढता हूँ 
ना करता हूँ वैद से बात

आघात ह्रदय को जब पहुंचता है
आह अधर से निकलती है
फिर भी निर्मम होकर मैं
ये हृदयाग्नी जलाता हूँ
लाज नहीं अब मुझे कोई 
क्योकि ऐसे ही मैं जीवन यापन करता हूँ

जीवन में झेले दुःख अत्यंत
फिर भी में हँसता रहता हूँ
अश्रुयों से अपने ही मैं
हृदयाग्नी भडकाता हूँ
लाज नहीं अब मुझे कोई
क्योकि ऐसे ही मैं जीवन यापन करता हूँ


जो तुम संग मेरे आये

जो तुम संग मेरे आये, जीवन ने कुछ गीत सुनाये
मद्धम से पुरवाई में महका मेरा आँगन
जो तुम संग मेरे आये, जीवन ने यूँ गीत सुनाये
सुबह के धुंधलके में, पंछियों ने पंख फडफडाये

जिस पल नैन मैंने खोले, आमने तुमको पाया
निंदिया कि गोद में भी, सपनों में तुम्हे पाया
सजी संवारी दुल्हन सी, तेरा रूप सामने आया
जीवन में जो आये तुम, प्रेम का राग सुहाया

निशा के दामन में, जब तारे में देखता हूँ
लगता है मानो, उनमें भी तुझे ढूंढता हूँ
हर पल मन ये मेरा, तेरे ही गीत गाता है
जीवन में जो आये तुम, ना और कुछ मुझे सुहाए

सावन की हरियाली में, तेरे ही गुण गाता हूँ
ना जाने क्यों बिन तेरे, मैं ये धुन गुनगुनाता हूँ
जीवन में जो आये तुम, संग मेरे ही अब चलना
मद्धम पुरवाई के झोंको सी, मेरे ही अंगना में रहना

जो तुम आये संग मेरे, जीवन ने कुछ गीत गाये
हर पल अब मैं, तेरी ही धुन गुनगुनाता हूँ
सावन की हरियाली में, तेरे ही गुण गाता हूँ
ना जाने क्यों बिन तेरे, मैं ये धुन गुनगुनाता हूँ||

Friday, May 25, 2012

फिर कभी

आज नहीं फिर कभी मिलना हमसे अकेले
आज नहीं फिर कभी कर लेना हिसाब हमसे
लफ्ज़ नहीं हैं आज हमारे पास बयां करने को
फिर कभी सुन लेना बेवफाई का सबक हमसे
आज नहीं फिर कभी कर लेना हिसाब हमसे
कि नहीं है पैमाना आज दर्द का पास हमारे

ना जाने क्यूँ जिंदगी में हम यूँ जीते आये हैं
ना करना हमसे ये सवाल कभी
कि नहीं हमारे पास कोई पुख्ता जवाब
क्या किसी से हम यूँ बयां करें किसका हिसाब
वो चले गए जहाँ से हमारे हिजाब में छुपकर
अब नहीं पास हमारे उनके दिए ज़ख्मों का हिसाब

आज नहीं फिर कभी ले लेना हमारी जिंदगी की किताब
कि नहीं है हमारे पास उनके दिए ग़मों का कोई हिसाब
हलक में अकते हैं लफ्ज़ और आब-ऐ-तल्ख़ सूख गए
न इसका है हमें इल्म ना ही कर सकेंगे हम इसका हिसाब
आज नहीं फिर कभी मिलना हमसे अकेले
कि आज नहीं फिर कर लेंगे तुमसे जिंदगी का हम हिसाब

आज नहीं फिर कभी लेना हमसे बेवफाई का सबक
नहीं आज हमारे पास उनके दिए ज़ख्मों का कोई हिसाब.....

मधुशाला में पाठशाला

घर से निकला था मैं जाने तो पाठशाला
पर रास्ते में ही मिल गई मुझे मधुशाला
मधुशाला में जा बैठा मैं भर अपना प्याला
तभी देखी शिव पर चढती एक माला
देख शिव की प्रतिमा मधुशाला में
खोजने चला मैं सत्य की राह में
पहुंचा फिर मैं मधुशाला
बहुत खोजा सत्य पर मुझे ना मिला
फिर बैठ मधुशाला में भर अपना प्याला
जो घूँट लगाया लेकर शिव की मंत्रमाला
अनुभव वो था अपने में ही निराला
मिल गए बहुत से शिक्षक बन गयी पाठशाला
जीन सत्य की खोज में चला था पाठशाला
दो घूंट मार मधुशाला ही बन गई पाठशाला
जो ज्ञान मिला संग बैठे हर दुखियारे से
जो चंद मिले संग बैठे कुछ कवियों से
जो अर्पित किया मैंने उनके गुणसागर को
सब धन्य हो चले अपने अपने घर को
बैठा था मधुहाला में अकेला
देख रहा था मदिरा का अब खेला
अनजान लोग जो मिले थे इस मधुशाला में
ज्ञान ऐसा दे गए तो ना मिलता किसी पाठशाला में

O'Destiny

Why oh Why do you trace me
Why don't you let me live with my love
When I just want you to be with me
You just go ditching me
But now when I was living in love
Why you had to come back to me

Why is it that you keep bugging me
Why you want to keep hugging me
When I don't want you around
Why do you stand in on that ground
When I need you the most
Why you have to just disappear in your nest

You always been playing that ugly game
When I seek you, you hide in some frame
Then you come around and put a blame
A blame that I showed you the flame
A blame that I called you names
Why oh Why you have to do that to me

Why is it with me O'my Destiny
Why do you play that dirty game
Why is it that you go ditching me
And come around when I love to live with love
Why oh Why do you have to bug me
Why oh Why can't you always hug me....

ना जाने क्यों

जब कभी सोचता हूँ में तुम्हारे बारे में
बस खो सा जाता हूँ तुम्हरे ही ख्यालों में
ना जाने क्यूँ फिर ख़्वाबों में तुम हो होती हो
ना जाने क्यों लबों पे तुम्हारा ही नाम होता है
कि आज ना तुम हो ना ही तुम्हारा पैगाम 
फिर भी क्यों आब-ऐ-तल्ख़ पर नाम  तुम्हारा है
कुछ तो कभी हमें भी बतलाते जाना 
कि क्यों पैगाम हमारे नज़रंदाज़ करते हो
जानते हैं की ना हम तुम्हारे हैं ना हो सकेंगे
इल्म ये भी है हमें की तुम ना थी ना रहोगी कभी
फिर भी ना जाने क्यों नज़रों को एक इन्तेज़ार रहता है
ना जाने क्यों फिर भी बेजुबान दिल  इस कदर धडकता है
कि ख्वाबों ख्यालों में तुम्हारे इस कदर मशरूफ हैं
ना हमें जिंदगी का रहा कोई इल्म ना मौत का डर है
जाने क्यों अब बस तुम ही तुम नज़र आती हो
ना जाने क्यों अब लबों पर सिर्फ तुम्हारा ही नाम है

Thursday, May 24, 2012

नेतन का अभ्यास

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
रसरी आवत जात ही सील पर होत निसान

पर हमरन नेता को देखा बा
कितना का कोसिस करे बा
उनका ना कबहूँ ज्ञान मिले
ना उनका कबहूँ समझ आवे
जभइ देखो उनका लगे पैसा दाबने
जभइ देखो उनका लगे बिदेश भ्रमण करने
लोगन को खाने को दाना नहीं है
उनका खाने तो पैसा चाही
लोगन को पीने को पानी नहीं है
उनका पीने को लोगन का खून चाही
कितना भी उनका समझाने का कोसिस करी
मति अपनी ही भ्रष्ट होवे का चाही
आज का इस दौर मा, एक बात याद राखी
साला इन नेताओं का जूता चप्पल मारी
जहाँ साला तुम्हारा पसीना गिरे
इनका वहाँ ले जाकर तान तान मारी
बुझे इनके अकल मा इतना तो साला
कि जनता जागरूक भई तो जनता का सेवा करी

Tuesday, May 22, 2012

Money in the System

Just look at them, the way they do it
Just look at them, the way they are living
You pay the taxes from your salary 
And they just sweep it to fill their coffers
Money for everything that you need to get done
That's is not the way it should be working
May be you stop paying the bribe
And may be you should stop your cribbing

We got to ensure we work together
We work to get our nation free
We got to move these corrupt officers
We got to shun the corrupt officers and politicians

Just see the way they have grown in stature
Just see the way they have filled their coffers
Some of them are yesteryear's goons 
Some of them used to loiter in the full moon
Now look at them the way they are living
Sitting on the helm of affairs, they are sleeping
That's not the way we want it to work
That's not the way we want nation to suffer

We got to ensure we walk together
We walk for independence of our culture
Walk together to end the corruption
We got to shun the corrupt officer and politicians
We should have learned to do it right
We should have learned to get it done
Look at that common man on the streets
He's lost his life's fun
And he is walking up there to earn some bread
Working hard to get money for his sweat
All his life he works like a machine
Just to lose his money that's worth a shine

This is not working the way it should
We got to ensure we straighten this up
We straighten the system and remove corruption
We straighten the system for future generations

Just look at them, the way they do it
Just look at them, the way they are living
You pay the taxes from your salary 
And they just sweep it to fill their coffers
We need to ensure we work together
We need to ensure we walk together
We need to ensure we straighten the system
We need to ensure we remove the corrupt and corruption

जीवन प्रण

धीर धर बैठे हैं धरा पर
बादलों की ओढ़ चादर
ना अब चाह है सुरबाला की
ना है कोई चाह मधुशाला के
अधरों पर अब है देव मंत्र
मष्तिष्क में है निर्मोह का तंत्र
साधू बन कर रहे हैं तपस्या
ना है अब जीवन में कोई आस
अटल है अब मेरा ये प्रण
नहीं हारना है जीवन रण
बहुत बहा नैनों से नीर
बहुत हुआ जीवन अधीर
निर्मोही बन करना है बसेरा
निकल अंधियारे से देखना है सबेरा


Saturday, May 19, 2012

तलाश-ऐ-जिंदगी


हम जिंदगी की तलाश में जिंदगी को खो बैठे
निकले थे प्यार की तलाश में, खुद को ही खो बैठे
अज़ाब-ऐ-इश्क से दूर
खुशियों को तलाशते थे
आज हम खुशियों से दूर हो गए
तलाश-ऐ-जिंदगी में जिंदगी से दूर हो गए

लबों पर लेकर तेरा नाम
ख्वाब में करके तेरा दीदार
ना हुआ ये एहसास हमें
कि दर्द दिल में दर्द का सैलाब है
तस्सव्वुर में तेरे अक्स के लिए
ना जाने इस जहाँ में कहाँ कहाँ भटके
तलाश-ऐ-जिंदगी में जिंदगी से दूर हो गए
आज हम खुशियों से दूर हो गए

ना थी कभी मंजिल सामने
ना था मंज़र कहीं हंसीं
पा कर भी हम ना पा सके
आरज़ू थी जिसकी जिगर में
तन्हां ता जिंदगी बीती हमारी
ना मिला कोई हमसफ़र
तलाश-ऐ-जिंदगी में जिंदगी से दूर हो गए
आज हम खुशियों से दूर हो गए

आगोश-ऐ-मौत में तलाश-ऐ-जिंदगी है
दामन में आज मेरे गम-ऐ-उल्फत है
हम जिंदगी की तलाश में जिंदगी को खो बैठे
निकले थे प्यार की तलाश में, खुद को ही खो बैठे
इश्क हमें जिंदगी से हुआ इस कदर बेइन्तिहाँ
कि तलाश-ऐ-जिंदगी में जिंदगी से दूर हो गए
खुशियों के बीच रहकर भी
हम खुशियों से दूर हो गए




Friday, May 18, 2012

तेरे नैनो की ये भाषा

तेरे नैनो की ये भाषा
लज्जा की हो जैसे परिभाषा
कोई जाने ना क्या है इनका संदेशा
कोई जाने ना कैसी है इनमें याचना

अंतर्मन में सुर तेरे ही नाद करें
ह्रदय में तेरे ही गीत गुनगुनाऊं
तू जो रहे साथ मेरे इस जीवन में
मैं तेरे ही गीत गाऊं
तू सुनती रहे ऐसे गीत मैं गाऊं
तेरे नैनो की ये भाषा, जाने कौन संदेशा बतलाती

स्वप्न तेरे मेरी निंदिया उडाए
रूप तेरा अंखियन में मंडराए
कैसे कोई भावनाओं को समझाए
ह्रदयमंथन में जीवन बीता जाए
आलिंगन में भर तुझे मैं जीना चाहूँ
कैसे तुझे मैं ये संदेशा बतलाऊं

जाने कौन घडी में तुझसे मैं बिछड जाऊं
बिछड कर ना जीवन में वापस मिल पाऊं
इस द्विविधा में मैं तुझसे ना मिल पाऊं
तेरे नैनो की भाषा मैं ना समझ पाऊं
तेरे नैनो की भाषा जैसे हो लज्जा की परिभाषा
जाने कौन संदेशा बतलाती, जाने क्यों इतना इठलाती

क्या थी खता

गर धडकन ही बंद करनी थी
तो इस पत्थर को दिल क्यों दिया
गर अंधेरों में तन्हा छोड़ना था
तो जिंदगी में उजाला बन आई क्यों

क्या खता थी हमारी कि ये सिला दिया
बन मोहब्बत आई मेरी जिंदगी में
और तन्हाई का दामन थमा गई
ग़मों से तू मेरी जिंदगी डुबो गई

इश्क में हमने कभी सौदा ना किया
और सौदे में तुमने हमारा अमन मांग लिया
गर अंधेरों में तन्हा ही छोड़ना था
तो जिंदगी में रौशनी बन क्यों आई

गर धडकन ही बंद करनी थी
तो इस पत्थर का दिल क्यों बन आई
क्या खता थी हमारी जो ये सिला मिला
जिंदगी में हमें तन्हाई का गिला मिला

Rain in My Heart

I will never let you know
I will never let you see
The depth of my love and feelings
I will never let you feel
The pain that I buried in my heart
It's my pain now raining in my heart

The raindrops in my heart
Will never hit my eyes
They will wash away my agony
But would never let my feelings die
I will never let you feel
The pain I buried in my heart

Though the hurt would remain
In my heart I will let it rain
You will never know that I love you
You will never know my feelings
I will never let you feel
The depth of my love for you

It might be my misery
It might be that I am a fool
I would still wade against the tide
But would never ever complain
I will let my pain rain in my heart
I will let my pain rain in my heart

Thursday, May 17, 2012

प्रेम प्रसंग

प्यार तो मैंने किया तुमसे
पर मैं तुम्हारा प्यार ना पा सका
भरोसा तुमपर किया मैंने
पर तुम्हारा भरोसा ना पा सका

तू ना मेरी बन सकी कभी
ना मुझे कभी अपना बना सकी
ना था छल, कपट हमारे बीच
पर ना पनपा कभी विश्वास भी

आज तू चली फेर कर आँखें
छोड़कर मेरी ये दुनिया
अकेले ही अब चलना है मुझे
अकेले ही करना है जीवन यापन

प्रतीक्षा की हर समय मैंने तेरी
अब भी रहेगी तेरी ही प्रतीक्षा
पर मंशा यही है अब मेरी
कि मिले तुझे हर सुख

ना तुझे पा सके तो क्या
तेरे सुख में अपना सुख पा लेंगे
देख तुझे प्रसन्न हम
जीवन बसर कर लेंगे

Wednesday, May 16, 2012

जिंदगी

जिंदगी तुझसे क्या गिला करें
कि तुझसे हम क्या शिकवा करें
गर साथ ही नहीं तकदीर हमारी
तो आंसुओं से तेरा दामन क्यों भरे
रंज-ओ-गम की इस महफ़िल में
क्यों रुसवा तुझे करें हम
दामन में तेरी खुशियाँ हैं मेरी
रुसवाई में है राहे तन्हाई



मासूमियत

कितनी मासूमियत से आपने
अपने ज़ख्मों का हिसाब रखा है
कि हिजाब में छुपा आपने
अपने लबों पर लफ़्ज़ों को रोका है

कभी जिंदगी के किसी मोड पर
क्या आपको अपना सितम याद आएगा
कि आपकी ही मेहरबानी है
जो आज एक इंसान खुद से अजनबी हो चला है

कितनी मासूमियत से आपने
हमसे एहसास-ऐ-जुदाई बयान किया है
कि हिजाब आपका आज बन रहा है
कफ़न हमारी मोहब्बत का

क्या कभी ज़िंदगी की राह पर
किसी रोज हम हमसफ़र बन् पाएँगे
कि आपकी मोहब्बत पर परवान है
हर मंजिल हमारे प्यार की

कितनी मासूमियत से आपने
अपने लबों पर लफ्जों को रोका है
अपनी हया के हिजाब को हुस्न-ऐ-जाना
आपने हमारी मोहब्बत का कफ़न बना रखा है

Friday, May 11, 2012

How I Wish

You think I can see heaven than hell
Will live happy forgetting my pain
You think I would forget you ever
Can you tell if you would not be remembered
Do you think you can see me happy
Forgetting my hurt and anguish
And do you think you can make me trade
My smile for all my pain
You think I can forget you ever
Covering my pain with that smile
Do you think I can live in Comfort
Knowing your pain of deserting me
And did they ever tell you how hard it would be
For me to live the life without you
You think someone would be able to fill the void
That someone would be filling your shoes
How I wish, you'd have been there
To live life with me year after year
How I wish, you'd have aye
To be with me for ever
How I wish, you'd have been there
To change the cold breeze to soothing air
How I wish, you'd have been there
To give me the comfort of your hug
But running around the life's ground
Deserted life's fear is what I found
How I wish, you'd have been around
To be the Oasis in my deserted life's ground


Tuesday, May 8, 2012

चंद तकल्लुफ भरे पैगाम

कुछ शेर कभी कहीं सुने या पढ़े थे| ठीक से याद तो नहीं, पर सोचा कि कुछ चलते फिरते शायरों कि चलते फिरते पैगाम की तरह इन्हें भी आपके सामने पेश किया जाए|  हालांकि मैं खुद इनसे वाकफियत नहीं रखता, लेकिन फिर भी जरा मुलाहिजा तो फरमाइये कि चुनिन्दा शेर ऐसे भी कहे जाते हैं :)  अक्सर गाड़ियों के पीछे :))


आब-ऐ-तल्ख़ भी नहीं निकालेंगे
चाहे जितना तडपाओ तुम हमें
कि निगाहों में तुम्हें कैद किया है
यूँ ना बह जाने देंगे अक्स को तुम्हारे
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खून-ऐ-जिगर अभी स्याह नहीं हुआ
कि खुदा की इबादत से मुंह मोड लें
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गर चिलमन से तू अपनी सीरत छुपा सके
तो ऐ बेवफा ज़रा चिलमन तो बेदाग़ ले ले
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कायनात में गर तेरी कोई जगह नहीं
तो ऐ हुस्न-ऐ-जाना, हमें मौत ही दे दे
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Mercy - Random Woven Words

Often I thought about treacherous acts
But could never understand  them
Used to always try to understand
Why people stab someone on the back

Then life came with its own way
I was left high and dry on the highway
A friend who had obsession of claim
Went to set the life on chivalrous aim

Shocked I was to learn the tantrum
Shattered I was with the outcome
Disoriented was the word for their life
She just disengaged his beloved wife

She wanted to hide him from the world
She wanted to snatch him from the world
What claim was there in the entire show
When he was not even ready to bow

She went in to slit his life
All she use was word for knife
He was shocked to her that side
There was no place for him to hide

Often I thought about treacherous acts
Until this case opened the facts
I was shocked to learn the lesson
All I could see was unfavorable season

He went from pillar to post
But memories haunted him life a ghost
Shattered I was with the final outcome
There could have been mercy, at least some!!!


आग से ना खेल

आग से ना खेल इतना
कि दिलों में आग लग जाए
कि दिलों में गर आग लगी 
तो जिंदगी में रोनक ना होगी
गर जलने का इतना शौक है 
तो जल एक परवाने की तरह
देख उसके गम में शमा भी 
जलती है तिल तिल कर

Monday, May 7, 2012

कविताएँ


मेरी कविता की पक्तियां
करती हैं जीवन वर्णन
सार है इनमें जीवन का
ये हैं मेरे जीवन का अभिन्न अंग
इनसे कैसे में दूर रहूँ
कैसे तोडूं में इनसे नाता
जब जी भर आता है मेरा
तब साथ इन्ही का मिलता
ना मुझ बिन ये हैं इस जग में
ना बिन इनके मेरा कोई अस्तित्व
छोड़ चाहे में जग दूं कभी
ये रहेंगी जग में बनकर मेरा रूप

Thursday, May 3, 2012

हम उस देश के वासी हैं

हाथों की सफाई रहती है
जहाँ दिल में केख पुती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं 
जिस देश में महंगाई रुलाती है 

नेता जो हमारे होते हैं
वो जान के भूखे होते हैं
वोट का लालच है उनको  
जात का बटवारा करते हैं
हमारे लिए जो भारत माँ
सदियों से सभी कुछ लुटाती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में ये लूटेरे रहते हैं

वो लोग जो ज़्यादा लूटते हैं 
पैसे की ही भाषा जानते हैं
ये माया का जाल है, मायाजाल वाले 
हर जान की कीमत लगाते हैं
मार काट मचाओ और जेब भरो  
एक ध्यान यही जो रहता है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश मेंजातिवाद पलता है
हाथों की सफाई रहती है... 

जो ना मिला छीनना सिखा हमने 
अपनों को भी लूटा हमने
मतलब के लिये अन्धे होकर 
रिश्वत को ही पूजा हमने
अब तो क्या सारी दुनिया 
सारी दुनिया से कहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में रिश्वतखोरी रहती है

होठों पे गालियाँ रहती है 
जहां सच्चो की पिटाई होती है 
अनाज जो उगाना जानते हैं
वो भूखे ही सो जाते हैं
उनके पैसों से जहाँ नेता 
विदेश भ्रमण कर आते हैं 
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में कंगाली बहती है 

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मयंक

Tuesday, May 1, 2012

वो लम्हात

मयंक की एक उर्दू पोएम -
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कैसे कहें ये कहानी हम अपनी जुबानी
कुछ ऐसी ही बीती है हमारी जिंदगानी
करते रहे हम सजदा उनका हर कदम
सोचते रहे वो बनेंगे हमारे हमदम
शायद था वो कोई ख्वाब एक सलोना
बना गया हमें इश्क में ही दीवाना

सवालात भी किये ज़माने ने हमारी तन्हाई पर
कि नहीं कोई ज़वाब हमारे पास उन सवालों का
ना सच कहने का होंसला था ना उन्हें बेपर्दा करने का
गम-ऐ-उल्फत का किस्सा हम कहते उनसे कैसे
कैसे बयाँ करते कि गम-ऐ-जुदाई कैसे सहते आये हैं
कैसे हम अपनी बेज़ार जिंदगी की कहते कहानी

कि कैसे बयाँ करते उनसे अपने दर्द का किस्सा
कैसे दिखाते उन्हें हम आब-ऐ-तल्ख़ की गहराई
चंद सवालात जो उन्होंने आज किये हमसे 
हमारे निकाह के जैसे छेड़े उन्होंने किस्से
कसीदे पढ़ गए वो हमारी खुशियों के इस कदर 
कैसे बयाँ करते उनसे हम अपनी ज़िंदगी की ग़दर

लम्हात हम ढूँढते हैं चंद खुशियों भरे
वो लम्हात जिनमें हम ज़िंदगी को जियें
ना मिले वो लम्हात इस सफर-ऐ सिफर में
ना मिली हमें खुशी उम्र की इस कगार तक
इल्तज़ा किससे करें जब किस्मत ही रूठी
क्या शिकवा करें जब ज़िंदगी की लड़ी ही टूटी

कैसे कहें ये कहानी हम अपनी जुबानी
कुछ ऐसी ही बीती है हमारी जिंदगानी
सवालात भी किये ज़माने ने हमारी तन्हाई पर
कि नहीं कोई ज़वाब हमारे पास उन सवालों का
गम-ऐ-उल्फत का किस्सा हम कहते उनसे कैसे
कैसे दिखाते उन्हें हम आब-ऐ-तल्ख़ की गहराई
लम्हात हम ढूँढते हैं चंद खुशियों भरे
इल्तज़ा किससे करें जब किस्मत ही रूठी
कसीदे पढ़ गए वो हमारी खुशियों के इस कदर 
कैसे बयाँ करते उनसे हम अपनी ज़िंदगी की ग़दर
लम्हात वो ना मिले हमें जिनमें हम जिंदगी जीते
दो लम्हात वो ना मिले जो उनको हमारे नज़दीक लाते