Thursday, January 5, 2012

भ्रष्टाचार की विनती

ना दो मुझे यूँ ताने, ना दो मुझे गालियाँ
मैं खुद नहीं जन्मा, अंग्रेज मेरे जन्मदाता हैं
बरसों से सत्ता के कमरों में कैद हूँ
चंद अफसरों का में एक सेवक हूँ
कूटनीति की चिकनी मिटटी से लिपा
तुम्हारे ही आलिंगन में सजी एक सेज हूँ
सदिओं के इस नाते को क्या ऐसे ही छोड़ दोगे
एक अन्ना के कहने पर नाते तोड़ दोगे
अहिंसा के पुजारी के देश में इतनी हिंसा
मेरे बंधू बांधवों पर इतना अत्याचार
अरे सोचो इस लोभ और इस मोह का
जिसके चलते तुम तुम बने
जरा सोचो उकने अथक परिश्रम का
जिससे चलती देश की कार्यप्रणाली है
हो जाएंगे वो बेघर और बेसहारा
कहीं शेष शैया पर तुमने मुझे लिटा दिया
मानो बात मेरी, ले लो वचन ये सारे
जीवन यापन कर लूँगा मैं चरणों में तुम्हारे
इतनी सेवा कि मैंने तुम्हारी बरसों
अरे एक तो मौका बनता है दो कल या परसों
भाँती भांति की जात यहाँ पर
भांती भांती के लोग प्रकार
कहीं जी लूँगा में साथ उन्ही के,
साथ अगर ना ले चलो मुझे तो
इतना तो कर जा हे आदम 
मान अरसे की मेरी इस तपस्या को
बचा ले इस आंदोलन से मुझको
ना मिटाओ मुझे मेरी जड़ों से
कि यहीं तो मेरा निवास है
अरे गोरा जो मुझको लाया था
उसी के घर का तिरस्कार हूँ मैं
प्रार्थना यही है मेरी तुमसे
रहने दो इस कर्मभूमि पर मुझे

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