Monday, October 8, 2012

भारतीय वायुसेना को नमन - Dedicated to Indian Airforce

 नभःस्पृशं दीप्तम्
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आसमां की ऊँचाई से ना वो डरते हैं
ना आसमां की ऊँचाई में वो खोते हैं
वो तो सिर्फ आसमां की ऊँचाई को छू
देश की रक्षा में ज़िंदगी कुर्बान करते हैं

नहीं डरते हैं ऊँची तन्हाइयों से
ना ही डरते हैं परिन्दो से ऊँचा उड़ने से
ना उन्हें खौफ है दुश्मनों की तोपों से
उन्हें तो सिर्फ शौक है देश सेवा का

सरहदें उन्हें नहीं रोकती सरज़मीन पर
उन्होंने तो सरहदें खींची हैं आसमां की ऊँचाइयों पर
उन्हें तो बस एक ही जोश है ज़िन्दगी में
देश सेवा में कुर्बान होना उनका लक्ष्य है ज़िन्दगी में
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जय भारत है नारा उनका
 नभःस्पृशं दीप्तम् कहता है स्वर उनका
भारतीय वायुसेना को शत शत नमन

1 comment:

Unknown said...

Very good poem I appreciate you