वक़्त ने किये जो सितम
सहते आए हैं हम
ज़िन्दगी ने दिए जो गम
भूल ना पाएंगे हम
खलिश सी है इस दिल में
नाम-ऐ-मोहब्बत की
खुमार है हमारी ज़िन्दगी में
गम-ऐ-जुदाई का
आए हो जो तुम ज़िन्दगी में
दिल में है जागी एक ख्वाहिश
ना बेआबरू करना हमें तुम
ना सरे राह छोड़ जाना तुम
बेवफाई ज़िंदगी में सह गए हम
अपनी ज़िंदगी बेगानों से जी गए हम
इल्तजा तुझसे बस यही है हमारी
ना पलटना अब ये नज़रें तुम्हारी
तुमसे ही है हमारे खुदा की खुदाई
तुम्हारी मोहब्बत ही मकसदे ज़िंदगी है
ना सह पाएंगे अब हम तुम्हारी जुदाई
बहुत जी लिए हैं बेआबरू हो कर
बहुत जी लिए हम परवाना बन कर
बहुत जी लिए हम ज़िंदगी जार-जार कर
अब जीना चाहतें हैं तुम्हारी मोहब्बत बन कर
4 comments:
Thanks for the suggestion. I would look into the stuff and ensure that the issue is addressed for the convenience of the Readers
आपने लिखा....हमने पढ़ा
और भी पढ़ें;
इसलिए कल 30/04/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में)
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
बहुत अच्छे | शानदार |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
mast ....bebaak...
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