Friday, October 5, 2012

शुक्रगुज़ार हैं खुदा के

जाने क्या बात हुई
जब उनसे नज़रें चार हुई
अजब सी बेचैनी थी दिल में
जब उनसे मुलाकात हुई

ना जाने क्यों दिल में कसक उठी
मानो बरसों की तड़प जाग उठी
ना जाने क्यों दिल उदास हुआ
ना जाने क्यों ये निराश हुआ

पूछा जब हमने दिल से
तो कहा कुछ यूँ उसने
कि नहीं कोई जगह अब उनकी
क्योंकि अब वो दुनिया है किसी और की

कौन है वो जब हमनें पूछा दिल से
उसने तेरा ही नाम लिया
ना जाने कब किस पल
तेरा राह दिया ये चल

हमें अब ना शिकवा है ना कोई गिला
खुश हैं कि अब हमें तेरा साथ मिला
शुक्र हैं हम उस खुदा के, उसकी खुदाई के
कि अजब नज़राने दिखाए उसने इस दुनिया के||

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