Wednesday, December 17, 2014

Appraisals

The season of appraisals just ended
Some got the piece of meat
but 
Some got totally neglected

For the ones who deserved the most
For they were not the ghost
For they did the right advertisement
Others got the due punishment

The season of appraisals just ended
Some of the rules were a bit banded
Some got awards open handed
Rest were left out there wounded

For those who worked hard
Who forgot the rule to guard
They got left out in the race
They were smitten in the face

The season of appraisals just ended
Making a few happy and many sad
Some benefited with right advertisement
Others were bruised for they got punishment!!

नादाँ परिंदे

दिल दहला देने वाली घटना पर
अज़ाब-ऐ-अश्क भी सूख गए
आँखों में नमी तो है 
पर अश्क बह नहीं सके

इतना दर्दनाक मंजर देख
शब्द भी हलक में अटक गए
होंठों पर लफ्ज़ आते आते 
जुबां पर ही सहम गए

नादां परिंदे आशियाँ से उड़े थे
किसी पिंजरे में फंस गए
निशाना बने किसी दरिंदगी का
जिहाद की भेंट चढ़ गए 

क्या खता थी उनकी 
किससे था उनका बैर
कि ढूंढ ढूंढ मारा उन्हें
ना आयी दरिंदो को शर्म

क्या यही चाह था खुदा ने
क्या यही है उसकी इबादत
क्या यही है अमन का पैगाम
कि नादाँ परिंदों का करो कत्लेआम

Tuesday, December 16, 2014

अब तुम हमें जीने दो

और नहीं अब और नहीं 
आतंक का साया और नहीं
जीना है अभी जीने दो हमको
इंसानियत का खात्मा अब नहीं

धर्म के नाम पर ना करो अधर्म
बेगुनाहो का ना करो यूँ क़त्ल
जीना है अभी हमें और
इंसानियत को न यूँ जाया करो

बच्चो ने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा
क्या थी उनकी खता
मासूम थे वो, अनजान गुनाह से
क्यों उनपर तुमने कारतूस बरसाए

ख़त्म करो अब आतंक का नंगा नाच  
खत्म करो लाशों पर चलना
बच्चो की सादगी से आज तुम खेले
खत्म करो अब ज़िन्दगी से खेलना

खुदा नहीं देगा तुमको जन्नत
ना मिलेगी तुमको वहां हूर परियां
दोजख में भी ना मिलेगी तुम्हें पनाह
कि शैतान से होगा तुम्हारा सामना

छोड़ भी दो अब तुम हैवानियत
जीने दो जहां में अब इंसानियत
बहुत हो चूका मौत का तांडव
अब तुम हमें जीने दो

कफ़न-ओ-ताबूत दिखते ये छोटे हैं
लेकिन भार इनका हम न ले पाएंगे
कैसे किया तुमने यह गुनाहे अज़ीम
कैसे किया तुमने यह गुनाहे अज़ीम??

बंद करो अब मज़हब का धंधा
बंद करो यह कत्लेआम
छोड़ दो अब तुम ये हैवानियत
जीने दो जहाँ में अब इंसानियत॥ 


Small Coffin Big Message

The pain in the heart broke barriers
The tears in the eyes didn't stop
My soul today burnt alive
When I heard the bullets fire like beehive

It is the Black day in recent time
Guns Blazing instead of wind chime
For those at the place of worship
Undermined the life on religions' whip

Massacred were innocent children
Those who didn't even know their cause
Those small Coffins when will be buried
Hearts would cry aloud, souls would hurt

Those small Coffins would weigh more
When they would be carried on
Those Coffins would remind parents
For their pupil who were in them

Those small Coffins need to be put to rest
And with them put do your very best
to 
Put and end to support the terror
for
It never proved to be fruitful to anyone

Silent Plea

No More!! Please No More
Enough Massacred already
We lost our lives for nothing 
We lost our case for nothing

Let the world survive
Let the world live in peace
Let the humanity survive
Let Universal Brotherhood prevail

No More!! Please No More
Enough Massacred already
Stop this now, stop it today
Stop Terrorism on name of Religion

You kill innocent, you kill humanity
On pretext of God you support insanity
Stop it today stop it now
We lost our life and wish no more

Enough of insanity that hurt
For cause of religion has hit the dirt
Please stop this massacre today
To let Humanity prevail in this world

Thursday, December 11, 2014

प्रश्नात्मक नारी स्वरुप

आशा की वो किरण बन कर आई थी तू 
और ना जाने कैसे ज्वाला बन गई
जीवन अन्धकार दूर करते करते
ना जाने कैसे चिता प्रज्वलित कर गई

मानसिक संतुलन को स्थिर करते करते
ना जाने कैसे मानस को असंतुलित कर गयी
कभी बालिका, कभी भगिनी, कभी माता, कभी भार्या
इस काया में थी, कब तू रणचंडी बन गई

आशा की वो किरण बन कर आई थी तू
तो कैसे क्रोधाग्नि बन जीवन भस्म कर गई
जीवन अंधका दूर करते करते 
कैसे तू चिता प्रज्वलित कर गई

क्या है तेरा स्वरुप आज कैसे करूँ तेरा विश्वास
जीवनसंगिनी बनी थी तू कल मेरी
आज जीवन भवन ध्वस्त कर गयी
क्या है तेरी महिमा नारी क्या है तेरी मंशा

क्यों तू रूप बदलती है क्यों करती है नखरे
तेरे हर स्वरुप को पूजा है नर ने
तेरी की सदा वन्दना
फिर क्यों जीवन भस्म कर 
तू 
चिता प्रज्वलित कर गई?

उम्मीद्दों में जिए हम

उम्मीद्दों के सहारे जिए हम
आज हमें नाउमीदी ने है घेरा
दामन तेरा पकड़ कर जिए हम
आज तेरे दामन की राह में है डेरा

ना कोई उम्मीद है हमें आज ज़िन्दगी से
ना ज़िन्दगी ने जगाई कोई उम्मीद
बस मायूसी है छाई चारो ओर
एक सन्नाटा है हमें सुनाई देता

जहाँ में आये थे बड़ी उम्मीदें लेकर
आज नाउम्मीदी का है सहारा
साथ तेरा बस चाहा था हमने
लेकिन तूने ही कर दिया बेसहारा

कैसे जियें हम अब इस जहाँ में
किससे करें हम शिकवा
खुदा का नूर समझ तुझे पाया था
आज तूने ही छीन लिया हमारा अक्स

उम्मीद्दों के सहारे हम जिए थे
बड़ी उम्मीदों से थामा था तेरा दामन
छुडा दमन अपना यूँ ना जा
यूँ सरे राह बेसहारा ना कर||

Coffee v/s Dinner

They often say
A lot can happen over a coffee
But, they seldom say
A lot can happen during a Dinner

For Coffee is over in a few minutes
But a Dinner can stretch over couple hours
Coffee seems to ignite a discussion
Dinners are where they can be concluded

They often say
A lot can happen over a coffee
But they seldom realize
Coffee may just initiate
but
Dinners always help conclude

Coffee may not help satiate
But dinners do fill the tummy
and
With tummy full, Mind works better 
To get to strategies to close the matter!!!

When I look at You

When I look at you
My heart just skips a beat
I get into a trance
For your smile mesmerizes me

Often I tend to think 
What is it that makes you mine
Is it just the love
Or 
Is it some sort of Bond

Whatever it is, my love
You have made me feel complete
Your arrival in my life
Changed me from a Man to a human being

You mark beginning of that era
When I attained fatherhood
You mark the beginning of that era
When I learn to live for you

My Sweetheart O'my Daughter
You are so adorable to be resisted
You are simply the best one 
That ever happened to change my life 

आरज़ू

यूँ ही न भुला देना तू मुझको
कि तेरी ही राह का मैं मुसफिर हूँ
यूँ ही न ठुकरा देना तू मुझको 
कि तेरा हमसफ़र बनने का ख्वाहिशमंद हूँ

बहुत मुद्दतों के बाद तू है मिली मुझको
यूँ ही सरे राह दामन न छोड़ देना
बड़ी मुश्किलों से ये बंधन बना है
यूँ ही जज्बातों में इसे न बहा देना

एक शिद्दत से जिसका था मुझे इंतज़ार
उस ख़ुशी को मेरे दमन से चुरा न लेना
जिस साथ के लिए बना था तेरा राहगुजर
उस राह पर अपना हाथ मुझसे छुड़ा न लेना

यूँ ही न भुला देना तू मुझको
कि शिद्दतों मैंने अपने वजूद की जंग लड़ी है
गुमनामी के अंधेरों में बहुत रहा मैं
अब तेरी बाँहों में दम तोड़ने की आरज़ू है||

Tuesday, November 25, 2014

परिणय की वर्षगाँठ

प्रतीत होता है जैसे कल की ही बात है
वही कल जब तुमसे भेंट हुई थी
वही कल जब हम मिले थे
प्रतीत होता है जैसे कल की ही बात है

किन्तु समय का पहिया घूम रहा था
समय का चक्र अपनी गाती पर था
जो बात कल की प्रतीत होती है
आज उसको २ बरस हो गए हैं

प्रतीत होता है जैसे कल की ही बात है
आज फिर वही दिन है 
किन्तु दो बरस के अंतराल के बाद
हमारे मिलन की आज दूसरी वर्षगाँठ है

प्रतीत होता है जैसे कल की ही बात है
किन्तु आज साथ दो बरस का अनुभव है
दो बरस तुम्हारे साथ के
दो बरस हमारे परिणय के

आज फिर वही दिन है, फिर वही बेला  
जब तुम मेरी जीवनसंगिनी बनी थी
आज हमारे परिणय को दो बरस बीत गए
किन्तु प्रतीत होता है जैसे कल कि ही बात है

Saturday, November 22, 2014

तेरी अदा

तेरी अदाओं में जो जादू है
तेरी अदा में जो नखरे हैं
तेरी अदा में तो नाजुकता है
ऐ साकी जरा इस पैमाने में भर दे
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तेरी अदाओं के सदके
मर जाएंगे हम इनके चलते
भर दे तू पैमाना ये
वर्ना शराब के नशे में हम बहक जाएंगे
--------------------------------------------------------
नशा जो तेरी अदाओं का है
नहीं वैसा नशा कहीं शराब में मिला
भर ऐ-साकी पैमाना मेरा
भर इसे अपनी अदाओं के नशे से
--------------------------------------------------------

Listening to You

Often it so happens 
Listening to you is impossible
Often it so happens
Understanding you is impossible

But that in no way indicates
That I don't love you
And it in no way indicates
That I try to tolerate you

It's not often that you may have logic
It's not often that you may be right
But it doesn't indicate in any way
That I don't value your viewpoints

You sometimes come out with ideas
That are as marvelous as you
You sometimes give advises 
That are as awesome as you

But it in no ways implicate
That I selectively listen what you say
And it in no way indicates
That I love you for them

I listen to you for I love you
I love you for the person you are
Listening to you always may be tough
But loving you is my habit

Yes I listen to you always
It may be impossible at times
But I do listen to you
For I love you as my life!!


Friday, November 7, 2014

आईने की शर्मिंदगी

काश आइनों में हकीकत बयां होती
कि इंसा को अपनी जात पता होती
आइना आज खुद शर्मिन्दा है इस कदर
आइना आज खुद शर्मिन्दा है इस कदर
कि अपने ही जहाँ में बिखर जाता है
काश आइनों में हकीकत बयां होती
तो ऐ खुदा 
तेरी बसाई इस जहां में नापाक लोगों की
इतनी आबादी ना होती
ना होता इंसान खुदगर्ज़ ना कमज़र्फ
काश के आइनों में हकीकत बयां होती
तो हर इंसान कभी तो खुद से रूबरू होता||

Wednesday, November 5, 2014

Falsifications

The world today lives a life
Full of falsification
Media today broadcasts a news
Full of falsification

The air today is full of methods
To achieve falsification
What we are taught in books
Are method of falsification

Falsification today is the way of life
Falsifying the facts is an upcoming trend
Every where what we see is all
Falsification Falsification and Falsification

Truth got buried deep under falsification
Facts got adulterated with falsification
Promises today are full of falsification
Act today are full of falsification

All today is lead by the materialization
That in itself
is
The root cause of falsification

Tuesday, November 4, 2014

Reflections

Reflections are said to represent life
Shades of light be dim or bright
Every reflection has its meaning
Every reflection seems to fill a void

Reflections always help represent the truth
Reflections always try to break the myth
but 
Some reflections can actually take a swipe
Those can clean the facts like a wipe

When reflections turn misleading
When they start loosing their real meaning
They can be really create a wreckage
They can often convert a leaf into a page

Misleading reflections can cause life to change
They can lead to trap someone in a cage
Such cases use reflections to present modest rage
Something that comes off through an age

Reflections which represent the actual life
Can be used by someone as a Knife
to
Cut of the ties of the shades of light
Turning them dark from the bright

Wednesday, October 8, 2014

हैदर - एक सूत्र गाथा

विशाल भरद्वाज ने जब बनाई हैदर
सोचा उन्होंने कि कहेंगे उसको हैमलेट
किन्तु चूक गए वो अपनी करनी में
रह गए वो सही विषय चुनने में||

चुना उन्होंने बशारत की कहानी को
सन १९९५ में घटित एक जुबानी को
किन्तु भूल गए कि कहानी है एकतरफा
किसी का हाल बयान किया तो दूजा भूल गए||

सच क्या है इस कहानी में नहीं लिखा
गर जानना है तो हर उस बाशिंदे से पूछो
घर छोड़ कर जो रह रहा विस्थापितों सा
अपने सर ज़मीन पर गैर बन चूका जो||

विशाल भूल गए तुम क्योंकर 
कि कश्मीर के सच में पंडितों की भी है गाथा
क्यों भूल गए कहानी को वो हिस्सा
रणबांकुरे जहा कटा गए अपना माथा||

अरे चित्रण गर तुम्हें करना ही है
तो करो सत्य का चित्रण सच्चे मनोरथ से
अधूरी कल्पना का चित्रण कर
ना भरो ज़हर तुम साधारण जन के जेहन में||


Friday, September 26, 2014

बलविंदर सिंग फेमस हो गया

किंग मिका सिंह ने हाल में एक मूवी बनाईहै
साथ में शान ने उसमें अपने जोहर दिखाएँ हैं
दोस्तों मेरे यारों ये मूवी गजब है
गानों के साथ इसमें म्यूजिक कि भरमार है

बलविंदर सिंग फेमस हो गया नाम है मूवी का
26 सितम्बर को कार्यक्रम है रिलीज़ का
मिका और शान दोनों का एक ही नाम है
एक ही लड़की को पटाने का इनका काम है

देखना जरूर है यारों हमें इस मूवी को
हंसी ठहाकों से भरपूर २.५ घंटे के शो को
सुनील अग्निहोत्री है इसके निर्देशक
मिका, शान और राशु खान हैं इसमें गायक

तो आओ चलो देखो इस धमाल को
गायकों की टोली से बनी इस ठिठोली को
देखो कौन बलविंदर जीत पाता है गोरी को
देखो कौन कितना हंसाता है इस होड़ में हमको||


Friendship and Life

Off all the relations in life
Friendship stands tall aside
For far from other relations
We choose our own friends

Friends in life are not just someone
They are the one dependable
They are the one we bank on in need

Friendship means a bond strong enough
To help us sail through the toughest tides
Friends stand by our side
Even if we are out from their sight

Friendship and Life together define
The outlook that we build in this world
They together take in stride
The true essence of Love and Pride

Thursday, August 28, 2014

भारत से सन्देश

विचारों में तो अंतर आ चुका है,
मतभेद भी हैं बहुतेरे
अब यदि रहना है यहाँ
तो रहो बनकर अपने
और यदि सोचते हो तुम
की करोगे और एक बटवारा
तो एक ही संदेश है हमारा
जाकर रहो जहाँ दिल है तुम्हारा
भारत अब अखंड है और रहेगा अखंड
तुम यदि मानते हो खुद को पराया
तो समझो पडोसी देश को सरमाया||

Wednesday, July 23, 2014

चंद शेर

अपनी बर्बादी के किस्सों को बयान नहीं करते
कि कहीं उनमें अपनी ही कमजोरी होती है
खंज़र-ऐ-दुश्मन गर कभी चल भी जाए तो क्या
अपने होसलों से कामयाबी हासिल करते हैं ||

ना डर तू किसी से ता ज़िन्दगी
फिर वो खुद खुदा क्यों ना हो
सच कि राह पर गर तू चलेगा
दुश्मन तो क्या खुदा भी तुझसे डरेगा || 

Saturday, July 12, 2014

हर इंसा आज यहाँ है तन्हा

तुम भी तन्हा हो हम भी तन्हा है
और नज़ारा देखो दुनिया का
हर इंसा यहाँ तन्हा है
हादसा है ये ज़िन्दगी का
हर इंसा खुद में ही तन्हा है 

मुक़द्दर देखो इस इंसा का
तन्हा इसने गुजारी ज़िन्दगी
तन्हा ही मिली मौत भी इसे
घुमा ये तन्हा हर गली हर गुचा
फिर भी इसे हम तंहार न मिला

हर इंसा आज यहाँ तन्हा है
हर मोड़ पर बसती तन्हाई है
अनमोल है आज साथ हमसफ़र का
हर जर्रे पर तन्हाई बसती है
हर मोड़ पर तन्हाई बसती है

कहाँ गया वो ज़ालिम ज़माना
जिस रोज़ तन्हाई तरसती थी
आज देखो ज़िन्दगी तन्हाई में तरसती है
हादसा है ये ज़िन्दगी का 
हर इंसा आज यहाँ है तन्हा||

कुछ लोग जो ऐसे मानते हैं

कुछ लोग जो ऐसे मानते हैं
औरो से ज्यादा वो जानते हैं
रिश्तों कि कीमत वो क्या जाने
जो औरो को खुद से कम मानते हैं

घमंड में ऐसे चूर हैं वो
खुदा को भी बांटा करते हैं
खुद को बड़ा बनाने को वो
इबादत को भी झुठलाते हैं

ऐसो के साथ क्या टकराना
ऐसो से शायद कतराना
वो लोग ऐसे होते हैं
जो खुद को खुदा मानते हैं

नहीं कोई मोल है इनका
नहीं कोई करता सम्मान
फिर भी घमंड में चूर हैं ये
अपने ही मद में मदहोश हैं ये

इनसे वैसे ना घबराना
इनसे वैसे ना टकराना
बैर क्या लेना इनसे
वो खुद के बैरी बैठे हैं-२

Wednesday, June 18, 2014

Walking Solo, Yet Together

Walking solo on the streets of life
Met you on my way
Holding my hand in your hand
You joined my marching way

No common agenda in life
With no common goal in sight
We walk together our way
Holding hands not to fight

Walking through the dark patches
Waiting for the Ray of Hope
Walking through the tough storm
Waiting for the Day Light to break

No wonder why are we Puzzled
No wonder why are we in Dilemma
Two diverse set of people
Walking solo in the street, yet together

कहत नसीबा

कहत नसीबा नहीं कोई रस्ता
नहीं कहीं कोई साथी तेरा
दूर दूर तक देख चल तू
नाप अपनी ज़िन्दगी की रहे

ना है कोई राह जन्नत को
ना कोई नज़र दोजख की
चलना है अकेले तुझको
राह अपनी ज़िन्दगी की

कहत नसीबा नहीं को आसरा
तेरे आब-ऐ-तल्ख़ को
बहाना होगा खून-ऐ-जिगर
सरे राह तकल्लुफ सहकर

ना कोई तेरा है ना तू किसीका
ना तेरा कोई रब है, ना है कोई रकीब
तन्हा तू आया है, तन्हाई है तेरा साया
तन्हा तुझे चलना है, तन्हा ही है जाना

कहत नसीबा नहीं कोई रस्ता
नहीं कोई तेरा कहीं आसरा
आब-ऐ-तल्ख़ बहा तू तन्हा
कि तन्हाई ही है तेरा हमसफ़र, तेरा साया

रुदन

रुदन है ह्रदय में, हाहाकार है मची
आज इस संसार में है तेरी कमी
मंशा क्या है जीवन में तेरी
कि आज रुदन से है जीवन में कमी

प्रयासरत हैं तेरी प्रसन्नता के
किन्तु नहीं ज्ञात तेरी मंशा
रुदन का ही स्वर है उत्तर आज
हर ओर है रुदन का ही अस्तित्व

खोज रहे हैं रुदन में जीवन
कि रुदन से है आज जीवन प्रलय
रुदन है ह्रदय में, हाहाकार है मची
चीत्कार में नष्ट हो रही श्रृष्टि



ज़िन्दगी तन्हा

ज़िन्दगी तन्हा है या तन्हाई है ज़िन्दगी
ना कोई मिला कभी जवाब इसका
फिर भी कर रहे हम अपनी बंदगी
क्या करे गिला क्या करें शिकवा अब

Friday, June 13, 2014

Death Calling

Of all the things in the world
What I got from my life
A call, just a call
That call ended the charm of life

The serene journey of life
Is now at its fag end
Not knowing what is left
and 
What am I supposed to cover

The life that I lived with you
The life I want to live with you
Is now shortened by this call
The call that I got last night

Don't be surprised
Don't feel disgusted
For the call was from death
and 
It was the death calling me

Your love wouldn't let me die
You would always want me with you
But remember it's the death calling
A call that no one could escape

Death being the ultimate truth 
Death being the final destination
One has to go when its Death Calling
but
Death would not end the immortal love!!

Wednesday, June 4, 2014

We need to deal with it

We need to deal with it 
but need to understand 
the efforts required
the way to collaborate

Now that government is stable
we expect them to perform
we want the to get some reforms
we need to deal with it

So what if they promised
we need to witness their actions
we need to go through their agenda
we need to deal with their priorities

Why O Why do we have to 
deal with this time and again
every 5 years we face that tone
every 5 years we need to deal with it
...............................yet again

Wednesday, May 21, 2014

तेरी यादें

उडी जो जुल्फें तेरी
मदहोश कर गईं
मिली जो नज़रें तेरी
गुमराह हमें कर गईं

सांसों की तेरी महक
हमारी तन्हाई ले गई
लबों पर थिरकती मुस्कराहट
हमें दिवाना कर गई

ना अब दिल को चैन है
ना रूह को है आराम
यादें तेरी बन एक जज्बा
हमारा इम्तिहान ले गई

Thursday, May 1, 2014

कान्हा तू अपनी बांसुरी सुना

कान्हा तेरी बांसुरी सुना
अपने लड़कपन की कहानी सुना
कहाँ गोपियों संग तू खेला बिरज में
कहाँ माखन चुराई तूने गोकुल में
कहाँ तूने बालपन बिताया
कान्हा तेरी बांसुरी सुना
अपने लड़कपन की कहानी सुना

अवतरित जो हुआ तू द्वापर में
कहाँ तुने अपना बालपन बिताया
कहाँ तुझे मैया ने आँचल में छुपाया
काल कोठारी में तू हुआ प्रकट
लांघ जमुनाजी तुझे द्वारिका पहुँचाया
सुना आज अपनी बांसुरी से
अपने बालपन की कहानी आज सुना

कान्हा तेरी बांसुरी सूना
आज अपने समय की कहानी दोहरा
लड़ असुरों से गोकुल बचाया
मार कंस को तूने मथुरा को पाया
चला चक्र सुदर्शन धरा को पाप विमुक्त कराया
अपनी धुन में ये कहानी सूना
कान्हा अपनी बांसुरी से अपनी कहानी सुना

तेरे योवन की आज तू कहानी सुना
रुक्मिणी से अपनी प्रेम की गाथा सुना
बना जो अर्जुन का तू सारथी
आज वो कहानी महाभारत की सुना
कान्हा आज तू अपनी कहानी सुना
अपनी बांसुरी के मद्धिम सुरों से
तू द्वापर की अपनी गाथा सुना 

कान्हा तू अपनी बांसुरी सूना
अपने जीवन की तू गाथा सूना||

Sunday, April 20, 2014

Electoral Sorties

All to say none to act
This all seems to be the Pact
All Leaders All Parties
Only do Electoral Sorties

तेरे नैनो की भाषा

तेरे नैनो की भाषा जाने ना
मेरे नैन तेरे नैनो की भाषा जाने ना
ना जाने क्या कहते हैं तेरे नैना
ना जाने क्या छुपाते हैं तेरे नैना

मेरे अंतर्मन में मचा कोलाहल
ना जाने क्यों चुप हो जाते हैं तेरे नैना
जाने किस घडी में क्या कहते हैं
ना जाने क्यों ये अकस्मात चुप होते हैं

ना समझ पाता हूँ मैं इनका कहना
ना मैं समझ पाता हूँ इनका चुप रहना
ना जाने क्या कहते हैं तेरे नैना
ना जानू मैं तेरे नैनो की रैना

हिला अधर अपने कर शांत मेरी जिज्ञासा
मुख मधिर वाणी से पूर्ण कर मेरी आशा
चुप रहकर यूँ ना मचा कोलाहल मेरे मन में
ज्ञान दे मुझे तू क्या कहते हैं तेरे नैना||

Today's Leaders

Its been tough and tardy
Its been really hard 
Too much too choose from
But too little are my options

Too many leaders around
Too much they promise
Whom should I select 
Whom should I opt for

Its too hard to decide
Its too tough to accept
All they do is show up
When they want my support

Once they win they disappear
Like they are some strangers
They come to my door once
Then make me run from pillar to post

They call themselves my leader
But I just become a reader
I see them once in five years
Then they become headlines

They feature in magazines
They feature in newspapers
They talk on talk shows
But what I don't see is work!!

सत्ता का सच

बहुत खुश हो लिए
बहुत कर किया गुणगान
कुछ दिन और रुक जाओ
उसके बाद करना बखान

पंजा कसो, कमल उठाओ
या हाथी की करो सवारी
साइकिल से यात्रा करो
या कहो झाडू की है बारी

चाहे कुछ कर लो तुम जनता
नहीं बदलना इस राष्ट्र का भाग्य
जिस दल में तुम झांकोगे
भ्रष्टों का ही अम्बार मिलेगा

आज ये नेता देते करोडो
पाने को चुनावी टिकट
कल ये ही नेता सत्ता में आकर
चूसेंगे करोड़ों राष्ट्रीय धरोहर से

कहते होगा विकास देश का
देंगे सबको आर्थिक सहायता
देखना वाही अर्थ अब होगा सिद्ध
जब भरेंगे पहले इनके चौबारे

नहीं कोई नेता सच्चा
नहीं सच्चा कोई दल
हर और धांधली फ़ैली है
कर रहा भ्रष्टाचार तांडव

देश के विकास के नाम पर
नग्न हो फिर रहा किसान
हर नागरिक होकर हताश
पीता फिर रहा हलाहल||


बगुला भगत नेता

बैठ ताल किनारे दरख़्त सहारे
देख रहा मैं मछरियों का खेला
कैसे अठखेलियाँ वो करती
कैसे एक एक दाने पर झपटती

ऊपर शाख पर बैठ बगुला भी
देख रहा था सारा खेला
एक दांव में गोता लगा कर
चोंच में भींच लेता मछरी

क्षण भर के इस हमले से
सहम सी जाती मछरिया
गोता लगते बगुले से बचने
चंहूँ और बिखर जाती

बैठाताल किनारे दरख़्त सहारे
देखा मैंने सारा मंजर
सोच मैंने होता कुछ ऐसा ही 
जब आजा समय चुनाव का

अठखेलियाँ करती जनता 
पल भर को सहम सी जाती
कौन चुनकर आएगा शाषन करने
कौन चुसेगा लहू अब मेरा

हर नेता दिखता बगुले सा 
जो आता पांच बरस में एक बार
छेड़ कर हमारी सोच को 
तितर बितर कर देता हमको

समय का खेला खेलता संग हमारे
माँगता मत घर घर जाकर
फिर जीत चुनाव होता ऐसा गायब
ढूंढे ना मिलता वो फिर गली या चौबारे पर

रगड़ एडियाँ वंदना करता वो हमारी
प्रगति के रोजगार के दिखाता वो सपने
कर जाग्रत दिवास्वप्न हमारे
छोड़ जाता हमें रगड़ने को अपनी एडियाँ

क्या यही चाहा था हमने स्वंत्रता का स्वरुप
क्या यही था सपना हमारा कि देखे उनका गरूर
बैठ ताल किनारे दरख़्त सहारे
देख रहा था में चुनावी मंजर

हर नेता यहाँ बगुला है 
और जनता बनती मछरी
बैठ टाक किनारे दरख़्त सहारे
देख रहा था मैं सारा मंजर||

Friday, April 18, 2014

कान्हा कान्हा पुकारूं

कान्हा कान्हा पुकारू मैं
इस कलयुग में 
द्वापर के युगपुरुष को
ढूँढू मैं कलयुग में

कह चला था कभी कान्हा
"यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवती भारत
अभ्युथानम अधर्मस्य तदात्मानं श्रीजाम्यहम"
किन्तु आज नहीं आता नज़र

कान्हा कान्हा पुकारूँ में 
इस कलयुग में
ढूंढूं तुझे आज में 
पापियों भरे इस जग में

अधर्मी आज हो चला है मानव
पाप के पैरों तले रोंद 
कर गर्व रहा अपनी कुक्रितियों पर
नाम तेरा ले फैला रहा विनाश

ना निभाता हर कोई राजधर्म
ना निभाता है कोई पौरुषधर्म
दिखता हर तरफ सिर्फ विनाश है
निभता है आज केवल हठधर्म

शरण में तेरी आया हूँ मुरलीमनोहर
प्रार्थना कर स्वीकार मेरी
समय के चक्र ने आज 
फिर गुहार लगाईं तेरी

नाम तेरा पुकारता फिर रहा मैं
राह तेरी तक रहा आज मैं
अवतरित हो आज फिर एक बार
उठा चक्र कर पाप का संहार

कान्हा कान्हा पुकारूं मैं
पीड़ा ग्रसित हो कर
चारो दिशा ताकूँ मैं
बाट तेरी जोह कर||

Wednesday, April 16, 2014

बीते वक़्त का तराना

आज याद आता है वो गुजरा ज़माना
बचपन का हर वो तराना
था कुछ और ही वक़्त वो
जब दूरदर्शन शुरू होता था शाम को

क्या वक़्त था वो 80s 90s का
जब एक घर में चार नहीं
चार मोहल्लो में एक टीवी होता था
याद आता है आज वो ज़माना...बचपन का हर तराना

वो डाकिये का घर घर डाक बाटना
वो केयर ऑफ नंबर पर कॉल आना
दोस्तों के साथ बैठ मोहल्ले में
क्रिकेट के शॉट्स पर चीखना चिल्लाना

याद आता है आज वो ज़माना
अपने लड़कपन का हर तराना
वक़्त वो जब मिलती मुश्किल से जीन्स थी
पहन कर जिसको लगता जहाँ जेब में था

क्या दिन थे वो क्या था वो ज़माना
ना था मोबाइल ना सोशिअल नेटवर्क
बजती थी बस सीटियाँ थिएटर में
ना कभी थी सुनी घंटी किसी के मोबाइल की

याद आता है आज वो ज़माना
बीते वक़्त हर वो तराना
जब लगा गले दोस्त देते थे बधाई
ना की आज की तरह फेसबुक पर

याद आता है आज वो ज़माना
बीते वक़्त का हर वो तराना
चाहता है आज भी दिल गुनगुनाना
लेकिन बदल गया है ज़िन्दगी का अफसाना||

Monday, April 14, 2014

भंग का रंग

बैठ धरा पर देख रहे थे
स्वर्ग सा मंजर
नाम ले भोले का
गटक रहे थे भंग

जो आनंद मिला भक्ति का
जो हुआ जीवन दर्शन
ना था कुछ ऐसा बचा
जो ना किया किसी को अर्पण

निद्रगोश में जब समाये
जग सारा लगा न्यारा
जब खुले चक्षु हमारे
हुआ असल ज्ञानार्जन

बैठ धरा पर ले भोले का नाम
भंग के रंग में किया स्वर्ग दर्शन
पर जब उतरा भंग का रंग
किया धरा को जीवन अर्पण

Thursday, March 27, 2014

एक वो वक़्त था

एक वो वक़्त था, एक ये वक़्त है
उस वक़्त में तुम हमारे थे
इस वक़्त में हम तुम्हारे हैं
वो वक़्त हमारा था, ये वक़्त तुम्हारा है

वो वक़्त जो गुजर गया है
उस वक़्त में एक विश्वास था
आज वो वक़्त है
जिसमे खुद से विश्वास उठ सा गया है

एक वो वक़्त था, एक ये वक़्त है
उस वक़्त में तुम्हें हमारा इंतज़ार था
आज तुम इतने दूर हो
कि चाह कर हमारा इंतज़ार खत्म नहीं होता

वो वक़्त और था जब तुम हमारे थे
अब वक़्त और है जब हम तुम्हारे हैं
अब तो इल्तेजा भी नहीं कर सकते
कि दूरियां खुद हमनें बनाई हैं

वो वक़्त गुज़र गया कि जब
तुम्हारी जुल्फें हमारा आशियाना थीं
अब के वक़्त में तो
सिर्फ उस आशियाँ का साया दिखता है||

तेरी चाहत

तेरी चाहत में ज़िन्दगी से बेज़ार हो चले
तेरे चेहरे के नूर में खुद को जुदा कर चले
फिर भी तेरी चाहत की खदाई ना निभा सके
एक भी पल तुझे खुश ना रख सके
सदमा रहेगा ता उमरा बेरूखी का
जाम जब भी पीयेंगे हम आब-ऐ-तल्ख़ का
तेरी चाहत को जो रुसवा किया है 
सजा-ऐ-दोजख का रुख किया है
तेरी चाहत में ज़िन्दगी से बेज़ार हो चले
तेरे चेहरे के नूर में खुद को जुदा कर चले
फिर भी तेरी चाहत को रुसवा ही किया है
वादा-ऐ-मोहब्बत खिलाफी ही किया है 

ग़मगीन आँखे

ग़मगीन आँखों से दर्द के अफ़साने बह चले
आज हम अपनी कहानी पर रो पड़े
दर्द तो अपना होता है
फिर क्यों आब-ऐ-तल्ख़ बहा
दर्द तो अपना होता है
फिर क्यों अफसानो का तांता लगा
सोच फिर हमें यूँ बेताब कर चली
कि आब-ऐ-तल्ख़ में ज़िन्दगी बह चली
ग़मगीन आँखों से दर्द के अफ़साने बह चले
आज अपनी ही कहानी पर हम रो पड़े 

Vague Thoughts or Fear of Existence

Are these just vague thoughts
or
Are they the fear of existence
That drive the wild world

Be it Politics
or
Be the Corporate World
They just rule everywhere

In our personal life
They play an important role
They keep us waiting
For the good things to come

The vague thoughts
or
The fear of existence
Keep our life cold

Cold enough for us to freeze
When it comes for decisions
Whether to build or break
All depends on them

But still the question remains
for
Are they just the vague thoughts
Or is it fear of existence!!

Drought of Words

Words that would flow seamlessly
Don't come to the mind these days
It so feels like
That there is a drought of words

Though I know what I know
Though I know what to say
But my mind gives away
When it comes to "How to say"

Once there was a time
When words would flow 
As if they were some liquid
As if my thoughts had wings

But off late, all I witnessed
Is drought of words
All my words seem to have vanished
My thoughts had their wings clipped

How do I say my pain
How do I measure someone's gain
All I know is I lost a treasure
For that whom to hold responsible

End of Game

Should it be end if game
or
Should you call it
End of life
It may be debatable
but
It indeed is the reality
For she was too close
to listen to what his wish is
For he was too open
to understand her viewpoint

They both were a lovely pair
for what they were for each other
but
They indeed had their own views
which kept them pole apart
They both indeed wanted the same
but
The path they traded were different
He was too close to share his plans
but
She was too inquisitive to know them all

Should it be end if game
or
Should you call it
End of life
For the inseparables were living
Living in their own thoughts
They were separated with
Their own deeds and thoughts!!
Should you call it end of game
or would you call it
End of life

Monday, February 17, 2014

धरा का मंजर

आज अम्बर में उड़ते
मंजर यूँ सामने आया
देखा का धरा का जो रूप
ह्रदय आनंदित हुआ

बादलों की चादर ओढे
अम्बर से मैं चला
चादर ज्यों हटती
देखता धरा पर तुषार धवल

तुषार धवल की परतों से
दिखती वृक्षों की शाखाएं
वृक्षों की शाखाओं तले
दिखती मानव बस्ती

प्रकृती और मानव की रचना के
देख मेल को ह्रदय उल्लासित हुआ
देख अम्बर से तुषार धवल
बादलों में ह्रदय हुआ चकित

Wednesday, January 22, 2014

ॐ हरि हर हर नमः शिवाय

ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
तज संसार बने तपस्वी
चढ़ कैलाश बने सन्यासी
धरी मृगछाल धरी शरीर पर भस्मी
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
कर विषपान देवजन तारे
धर नाग जो कंठ पर आवे
जग में आज नीलकंठ कहावे
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
रहे जो बीहड़ में, जिसके पिशाच सखा रे
क्रोधित हो जो सखन संहारे
भृकुटी तान जो त्रिनेत्र कहावे
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
कृपा रूप में तुम भोले कहावे
रोद्र रूप में रूद्र कहावे
कर कृपा तुम भक्त काज सवारे
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
जब रूप तुम वानर को धारे
राम रूप विष्णु के काज सवारे
संजीवनी ला लक्ष्मण के प्राण बचावे
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
संसार में हो तुम शक्तिशाली दाता
शरण तिहारी जो कोई  आता
कृपा तिहारी पा धन्य वो हो जाता
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय
ॐ हरि हर हर नमः शिवाय


Monday, January 13, 2014

Till You Told Me

I was feeling all is right
I was finding everything is bright
Till you told me to accept my mistake
Till you told me to apologize

Though I know I haven't committed a crime
I know I am not wrong
but
I am going to apologize
I am going to accept my fault
just for 
You told me to do so

I know I am on the right path
I know I have been facing world's wrath
but
Never did I realize
that you would find fault in
Where I have always been right

Though I was ready to face world's wrath
As I knew I was on the right path
But I would not go and apologize
For not being wrong, but for my love for you.