कहत नसीबा नहीं कोई रस्ता
नहीं कहीं कोई साथी तेरा
दूर दूर तक देख चल तू
नाप अपनी ज़िन्दगी की रहे
ना है कोई राह जन्नत को
ना कोई नज़र दोजख की
चलना है अकेले तुझको
राह अपनी ज़िन्दगी की
कहत नसीबा नहीं को आसरा
तेरे आब-ऐ-तल्ख़ को
बहाना होगा खून-ऐ-जिगर
सरे राह तकल्लुफ सहकर
ना कोई तेरा है ना तू किसीका
ना तेरा कोई रब है, ना है कोई रकीब
तन्हा तू आया है, तन्हाई है तेरा साया
तन्हा तुझे चलना है, तन्हा ही है जाना
कहत नसीबा नहीं कोई रस्ता
नहीं कोई तेरा कहीं आसरा
आब-ऐ-तल्ख़ बहा तू तन्हा
कि तन्हाई ही है तेरा हमसफ़र, तेरा साया
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