हाथों में जिंदगी का सपना लिए
निकले थे हम जहाँ में
सफर हम तय करते गए
मंजिल की तलाश में
सफर में मिले राहगुजर भी बहुत
दिल्लगी में हुई साथ उनके
दिलजले भी बहुत मिले
मंजिल की तलाश में
मुकाम बहुत से आये राह में
मंज़र भी हुए बहुत अजीब से
पर हम सफर में चलते गए
मंजिल की तलाश में
जिंदगी में जद्दोजहद हुई
हमसफ़र की तलाश में
सपने हमारे खाकसार हुए
मंजिल की तलाश में
बैठ आज जब सोचते हैं हम
कि क्या पाया जिंदगी में
तो देखा की हम ख़ाक थे
और ख़ाक में मिलने को हैं
मुड कर जब देखा राह पर
जो तय की थी हमने
मंजिल की तलाश में
हमसफ़र दिखा जिसे, छोड़ आये थे मजार पे
मगरूर थे हम अपने सपनो में
मशरूफ थे हम अपने सफर में
ना दिखा वो हमसफ़र हमें
नादान मंजिल की तलाश में
1 comment:
Good one
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