Tuesday, February 7, 2012

जीवनपथ

जीवनपथ पर चलता हूँ मैं
लिए हाथ में विष का प्याला
नहीं ज्ञात है अभी मुझे
अपने ही जीवन की माला

प्रेम प्रतिज्ञा से नहीं हुई है
प्रज्वलित मेरे मन की दीपमाला
प्रतिदिन अखंड रूप से जलती है
ह्रदय में आवेश की प्रचंड ज्वाला

जीवनपथ पर हूँ अग्रसर
लिए हाथ में विष का प्याला
शिव सी मूरत ना बन जाऊं
कहीं  पी कर ये जीवन हाला

पथ कठिन है बाधाएं अप्रतिम हैं
कहीं छलक ना जाए आवेश की ज्वाला
संभल संभल कर चलता हूँ मैं
बन कर इस विष का रखवाला

जीवनपथ पर चलता हूँ मैं
लिए हाथ में विष का प्याला
हर पथ पर मोड अनेक हैं
हर मोड पर प्रज्वलित है ज्वाला

हृदयनाद से गूँज रही है
मेरे जीवन की हर शाला
आवेश की प्यास बुझाने को
कहीं पी ना जाऊं विष का प्याला 

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