नीले अम्बर में चहकते पाँखी
झील की गहराइयों में तिरती मछलियाँ
घने वन में विचरते ये जीव जानवर
हैं स्वतंत्रता का एक जीवित स्वरुप
भोर भये पूरब से उगता सूरज
रात चाँदनी बिखराता चन्द्रमा
बलखाती बेलों पर लटकते फूलों की महक
हवा के झोंकों में इठलाती पंखुडियाँ
प्रकृति का हर प्रकार, हर आकार
समय की धारा में गतिमान हैं
प्रत्यक्ष रूप से तुम देखो तो
उसमें खुद परमात्मा विराजमान हैं
झील की गहराइयों में तिरती मछलियाँ
घने वन में विचरते ये जीव जानवर
हैं स्वतंत्रता का एक जीवित स्वरुप
भोर भये पूरब से उगता सूरज
रात चाँदनी बिखराता चन्द्रमा
बलखाती बेलों पर लटकते फूलों की महक
हवा के झोंकों में इठलाती पंखुडियाँ
प्रकृति का हर प्रकार, हर आकार
समय की धारा में गतिमान हैं
प्रत्यक्ष रूप से तुम देखो तो
उसमें खुद परमात्मा विराजमान हैं
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