Friday, February 3, 2012

खुदाया

तन्हाईयों के दायरे में
जब हुआ खुदा से दीदार
हमनें पूछा क्यों खुदाया
क्या सोच तुने बनाया जहाँ
गर बनाया ये जहाँ
तो  क्या सोच तुने
इंसान को मोहब्बत करना सिखाया
क्या सोच कर तुने
इस इंसान का दिल बनाया
गर इसे जज्बातों में घेरना ही था
तो क्या सोच तुने
इस इंसान का दिमाग सजाया
तन्हाईयों के दायरे में
जब हुआ खुदा से दीदार
तो  खुदा बोला कुछ ऐसे
कि सुन ऐ आदम जात
मैंने तो बनाया था जहाँ
सोच कर की सब साथ रहेंगे
मैंने बनाया था इंसान
अपनी एक हँसीं सोच के चलते
क्या जानता था की ये नादान
कर बैठेगा एक नादानी
दिमाग को छोड़कर ये
लगा बैठेगा दिल्लगी
मोहब्बत कर ही मैंने
इंसान को बनाया था
क्या जानता था की ये इंसान
बदजात मोहब्बत कर बैठेगा!!

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