प्रखर प्रचण्ड त्रिनेत्र आज 
हे शिव तू अपना खोल दे 
पापमुक्त कर धरा को 
मनुष्य को तू तार दे 
बहुत हलाहल पी चुकी धरा 
आज तू अपना त्रिशूल धार ले 
हाला जीवन की बहुत पी चुका
अब तू मानव को तार दे 
प्रखर प्रचण्ड त्रिनेत्र अपना 
हे शिव आज तू खोल दे 
अर्धमूर्छित इस धरा को 
आज तू पापमुक्त कर तार दे  
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