Monday, February 22, 2016

वन्दे मातरम की हुंकार

प्रहर अंतिम है रात्रि का
प्रहार अब हमें करना है
एक क्षण के लिए भी अब
अर्थ नहीं जानना चित्कार का

यूद्ध का उदघोश हुआ है
वीरों के बलिदान से
करना है अब अंत इसका 
आतंकियों की रक्तिम छाप से

ब्रह्मा मुहूर्त का बिगुल बजेगा
विजय के शंखनाद से
वीरों का सम्मान होगा
शत्रु की पराजय से

शत्रु को तुम परास्त करोगे
खड़ग कृपाण कटार से
विजय तुम नारा लगाना
वन्दे मातरम की हुंकार से।।

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