Monday, February 22, 2016

धरा के वीर

कहते नहीं जब थकते तुम ये बात
कितनी स्याह होगी अब ये रात
बिछाते हुए आतंकवाद की बिसात
छुप क्यूँ जाते हो यूँ अकस्मात्

किस अफ़ज़ल का तुम बदला लोगे
भारत के क्या तुम टुकड़े करोगे
हर अफ़ज़ल को एक पवन मारेगा
किसी मक़बूल को ना महाजन छोड़ेगा

कश्मीर का तुम स्वर बनते हो
उसी कश्मीर में नरसंहार करते हो
माँ के सपूतों का लहू बहकर
चिल्लाते हो लश्कर लश्कर

मत भूलो तुम भारत की सेना को
सदैव तत्पर है जो राष्ट्र रक्षा को
वीर हैं वो ऐसे माँ के सपूत
सुला देंगे तुमको बना कपूत

मत भूलो इस धरा के वीरों को
समाप्त कर देंगे जो तुम जैसो को
नहीं डरते जो किसी ललकार से
मिटा देंगे जो तुम्हें केवल एक हुंकार से।।

No comments: