Sunday, August 9, 2015

खामोशियाँ

खामोशियाँ मेरी पहचान है 
कहीं दूर लफ़्ज़ों की दूकान है 
पथ्थर से सर्द आज मेरे होंठ हैं 
जुबां भी अब बेजान है 

ये ज़िन्दगी जिस मोड़ पर है 
खामोशियों में ही मेरी आवाज़ है 
दफ़न है आज दर्द भी 
हर मोड़ पर तेरी याद है 

खामोशियाँ आज मेरा अक्स हैं 
खामोशियों से ही मेरी पहचान है 
पर ना काने  है ये नादान दिल मेरा 
ढूंढता है तुझे देख अक्स तेरा 

ना जा अब तू दूर मुझसे 
कि खो देंगे हम खुद को खुदसे 
खामोशियों से भरी ये  ज़िन्दगी 
कहीं समा जाएगी खामोशियों में ॥ 

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