Wednesday, December 17, 2014

Appraisals

The season of appraisals just ended
Some got the piece of meat
but 
Some got totally neglected

For the ones who deserved the most
For they were not the ghost
For they did the right advertisement
Others got the due punishment

The season of appraisals just ended
Some of the rules were a bit banded
Some got awards open handed
Rest were left out there wounded

For those who worked hard
Who forgot the rule to guard
They got left out in the race
They were smitten in the face

The season of appraisals just ended
Making a few happy and many sad
Some benefited with right advertisement
Others were bruised for they got punishment!!

नादाँ परिंदे

दिल दहला देने वाली घटना पर
अज़ाब-ऐ-अश्क भी सूख गए
आँखों में नमी तो है 
पर अश्क बह नहीं सके

इतना दर्दनाक मंजर देख
शब्द भी हलक में अटक गए
होंठों पर लफ्ज़ आते आते 
जुबां पर ही सहम गए

नादां परिंदे आशियाँ से उड़े थे
किसी पिंजरे में फंस गए
निशाना बने किसी दरिंदगी का
जिहाद की भेंट चढ़ गए 

क्या खता थी उनकी 
किससे था उनका बैर
कि ढूंढ ढूंढ मारा उन्हें
ना आयी दरिंदो को शर्म

क्या यही चाह था खुदा ने
क्या यही है उसकी इबादत
क्या यही है अमन का पैगाम
कि नादाँ परिंदों का करो कत्लेआम

Tuesday, December 16, 2014

अब तुम हमें जीने दो

और नहीं अब और नहीं 
आतंक का साया और नहीं
जीना है अभी जीने दो हमको
इंसानियत का खात्मा अब नहीं

धर्म के नाम पर ना करो अधर्म
बेगुनाहो का ना करो यूँ क़त्ल
जीना है अभी हमें और
इंसानियत को न यूँ जाया करो

बच्चो ने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा
क्या थी उनकी खता
मासूम थे वो, अनजान गुनाह से
क्यों उनपर तुमने कारतूस बरसाए

ख़त्म करो अब आतंक का नंगा नाच  
खत्म करो लाशों पर चलना
बच्चो की सादगी से आज तुम खेले
खत्म करो अब ज़िन्दगी से खेलना

खुदा नहीं देगा तुमको जन्नत
ना मिलेगी तुमको वहां हूर परियां
दोजख में भी ना मिलेगी तुम्हें पनाह
कि शैतान से होगा तुम्हारा सामना

छोड़ भी दो अब तुम हैवानियत
जीने दो जहां में अब इंसानियत
बहुत हो चूका मौत का तांडव
अब तुम हमें जीने दो

कफ़न-ओ-ताबूत दिखते ये छोटे हैं
लेकिन भार इनका हम न ले पाएंगे
कैसे किया तुमने यह गुनाहे अज़ीम
कैसे किया तुमने यह गुनाहे अज़ीम??

बंद करो अब मज़हब का धंधा
बंद करो यह कत्लेआम
छोड़ दो अब तुम ये हैवानियत
जीने दो जहाँ में अब इंसानियत॥ 


Small Coffin Big Message

The pain in the heart broke barriers
The tears in the eyes didn't stop
My soul today burnt alive
When I heard the bullets fire like beehive

It is the Black day in recent time
Guns Blazing instead of wind chime
For those at the place of worship
Undermined the life on religions' whip

Massacred were innocent children
Those who didn't even know their cause
Those small Coffins when will be buried
Hearts would cry aloud, souls would hurt

Those small Coffins would weigh more
When they would be carried on
Those Coffins would remind parents
For their pupil who were in them

Those small Coffins need to be put to rest
And with them put do your very best
to 
Put and end to support the terror
for
It never proved to be fruitful to anyone

Silent Plea

No More!! Please No More
Enough Massacred already
We lost our lives for nothing 
We lost our case for nothing

Let the world survive
Let the world live in peace
Let the humanity survive
Let Universal Brotherhood prevail

No More!! Please No More
Enough Massacred already
Stop this now, stop it today
Stop Terrorism on name of Religion

You kill innocent, you kill humanity
On pretext of God you support insanity
Stop it today stop it now
We lost our life and wish no more

Enough of insanity that hurt
For cause of religion has hit the dirt
Please stop this massacre today
To let Humanity prevail in this world

Thursday, December 11, 2014

प्रश्नात्मक नारी स्वरुप

आशा की वो किरण बन कर आई थी तू 
और ना जाने कैसे ज्वाला बन गई
जीवन अन्धकार दूर करते करते
ना जाने कैसे चिता प्रज्वलित कर गई

मानसिक संतुलन को स्थिर करते करते
ना जाने कैसे मानस को असंतुलित कर गयी
कभी बालिका, कभी भगिनी, कभी माता, कभी भार्या
इस काया में थी, कब तू रणचंडी बन गई

आशा की वो किरण बन कर आई थी तू
तो कैसे क्रोधाग्नि बन जीवन भस्म कर गई
जीवन अंधका दूर करते करते 
कैसे तू चिता प्रज्वलित कर गई

क्या है तेरा स्वरुप आज कैसे करूँ तेरा विश्वास
जीवनसंगिनी बनी थी तू कल मेरी
आज जीवन भवन ध्वस्त कर गयी
क्या है तेरी महिमा नारी क्या है तेरी मंशा

क्यों तू रूप बदलती है क्यों करती है नखरे
तेरे हर स्वरुप को पूजा है नर ने
तेरी की सदा वन्दना
फिर क्यों जीवन भस्म कर 
तू 
चिता प्रज्वलित कर गई?

उम्मीद्दों में जिए हम

उम्मीद्दों के सहारे जिए हम
आज हमें नाउमीदी ने है घेरा
दामन तेरा पकड़ कर जिए हम
आज तेरे दामन की राह में है डेरा

ना कोई उम्मीद है हमें आज ज़िन्दगी से
ना ज़िन्दगी ने जगाई कोई उम्मीद
बस मायूसी है छाई चारो ओर
एक सन्नाटा है हमें सुनाई देता

जहाँ में आये थे बड़ी उम्मीदें लेकर
आज नाउम्मीदी का है सहारा
साथ तेरा बस चाहा था हमने
लेकिन तूने ही कर दिया बेसहारा

कैसे जियें हम अब इस जहाँ में
किससे करें हम शिकवा
खुदा का नूर समझ तुझे पाया था
आज तूने ही छीन लिया हमारा अक्स

उम्मीद्दों के सहारे हम जिए थे
बड़ी उम्मीदों से थामा था तेरा दामन
छुडा दमन अपना यूँ ना जा
यूँ सरे राह बेसहारा ना कर||

Coffee v/s Dinner

They often say
A lot can happen over a coffee
But, they seldom say
A lot can happen during a Dinner

For Coffee is over in a few minutes
But a Dinner can stretch over couple hours
Coffee seems to ignite a discussion
Dinners are where they can be concluded

They often say
A lot can happen over a coffee
But they seldom realize
Coffee may just initiate
but
Dinners always help conclude

Coffee may not help satiate
But dinners do fill the tummy
and
With tummy full, Mind works better 
To get to strategies to close the matter!!!

When I look at You

When I look at you
My heart just skips a beat
I get into a trance
For your smile mesmerizes me

Often I tend to think 
What is it that makes you mine
Is it just the love
Or 
Is it some sort of Bond

Whatever it is, my love
You have made me feel complete
Your arrival in my life
Changed me from a Man to a human being

You mark beginning of that era
When I attained fatherhood
You mark the beginning of that era
When I learn to live for you

My Sweetheart O'my Daughter
You are so adorable to be resisted
You are simply the best one 
That ever happened to change my life 

आरज़ू

यूँ ही न भुला देना तू मुझको
कि तेरी ही राह का मैं मुसफिर हूँ
यूँ ही न ठुकरा देना तू मुझको 
कि तेरा हमसफ़र बनने का ख्वाहिशमंद हूँ

बहुत मुद्दतों के बाद तू है मिली मुझको
यूँ ही सरे राह दामन न छोड़ देना
बड़ी मुश्किलों से ये बंधन बना है
यूँ ही जज्बातों में इसे न बहा देना

एक शिद्दत से जिसका था मुझे इंतज़ार
उस ख़ुशी को मेरे दमन से चुरा न लेना
जिस साथ के लिए बना था तेरा राहगुजर
उस राह पर अपना हाथ मुझसे छुड़ा न लेना

यूँ ही न भुला देना तू मुझको
कि शिद्दतों मैंने अपने वजूद की जंग लड़ी है
गुमनामी के अंधेरों में बहुत रहा मैं
अब तेरी बाँहों में दम तोड़ने की आरज़ू है||