Wednesday, August 28, 2013

जीवन हाला


आज पीकर भी इतनी जीवन हाला
बूँद नहीं छूटी ना टूटी अश्रुमाला
उठा आज मैं पी गया विष का प्याला
फिर भी अटूट है है जीवन माला
प्रताड़ना से भी नहीं रहा अछूता
अज्ञानी से बन गया मैं ज्ञान का दाता
फिर भी अटूट है मेरी ये अश्रुमाला
जीवन हाला से भरा है आज मेरा प्याला
पीकर भी उसे अटूट है जीवन की माला
ना बूँद छूटी ना ही टूटी अश्रुमाला

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