Wednesday, August 21, 2013

गुजारिश - २

ज़िन्दगी जो दी है हाथो में तेरे
थाम डोर इसकी बना इसको खुशनुमा
कि दर्द हमनें बहुत सहे अब तक
अब तेरे साथ ज़िन्दगी जीने की चाह है

दर्द-ऐ-दिल है की हर वक़्त तड़पाता है
एक तेरा साथ है जो दिल को सहलाता है
थाम डोर ज़िंदगी की हाथों में अपने
माहौल एक खुशनुमा बना जीने को

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