शिव की प्रतिमा बन बैठा हूँ
आज हलाहल पीकर
भस्मासुर को मैं वर दे चुका
आज अपनी धुनि रमाकर
समय अब पुकार रहा मुझे
है पुकार धुनि तजने की
रच मोहिनी अवतार एक बार
करना है भस्मासुर पर वार
शिव की प्रतिमा बन बैठा हूँ
देकर भस्मासुर को मैं वर
हलाहल भी पी चुका जीवन मैं
अब है धुनि तजने की पुकार
तांडव में रचा है अब जीवन मेरा
करना है दंभ का संहार
करने को भस्मासुर पर वार
रचना है अब मोहिनी अवतार
1 comment:
नाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे।
इस लिंक पर जाएं :::::
http://www.iblogger.prachidigital.in/p/best-hindi-poem-blogs.html
Post a Comment