शिव की प्रतिमा बन बैठा हूँ 
आज हलाहल पीकर 
भस्मासुर को मैं वर दे चुका 
आज अपनी धुनि रमाकर 
समय अब पुकार रहा मुझे 
है पुकार धुनि तजने की 
रच मोहिनी अवतार एक बार 
करना है भस्मासुर पर वार 
शिव की प्रतिमा बन बैठा हूँ 
देकर भस्मासुर को मैं वर
हलाहल भी पी चुका जीवन मैं 
अब है धुनि तजने की पुकार 
तांडव में रचा है अब जीवन मेरा
करना है दंभ का संहार  
करने को भस्मासुर पर वार 
रचना है अब मोहिनी अवतार 
1 comment:
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