Monday, October 12, 2015

नवरात्रों का त्यौहार

नवरात्रों का त्यौहार आया 
माता का पर्व आया 
घर घर अब बैठेगी चौकी 
बारी है घट स्थापना की 

चौक में पंडाल सजेगा 
बीज शंख और ताल बजेगा 
बजेंगे अब ढोल नगाड़े 
खेलेंगे गरबा साँझ तले 

माँ का आशीर्वाद निलेगा 
यह सोच हर काज बनेगा 
नव कार्यों की नीवं सखेंगे 
हर किसी के सपने सजेंगे 

नवरात्र के महिमा अनोखी 
माँ खुद बन जाए सखी 
साथ मेरे वो गरबा रचे 
ढोल तासों में सुर पर नाचे 

दुर्गा भवानी चंडी काली 
हर नाम में है उसकी लाली 
माँ है वो जग पालन करेगी 
दुष्टों का वो नाश करेगी 

इस नवरात्र है मेरी प्रार्थना 
घर मेरे तू सुख शान्ति लाना 
इस राष्ट्र जो है घर मेरा 
फिर से एक बार कर दे सुनहरा

भ्रष्टाचार का तू नाश कर दे 
भक्तों का भविष्य उज्जवल कर दे 
नाश कर तू देशद्रोहियों का 
आरम्भ कर दे उसके पतन का 

इस नवरात्र मेरी यही अर्चना है 
 बस यही है मेरी प्रार्थना 
सूखे को तू कर दे हरा 
फसलों से लहलहा दे यह धरा 

आशीर्वाद दे तू माँ अम्बे 
कोई अब भूखा ना सोये 
हर घर में जले चूल्हा 
किसी के पेट की  जले॥ 

2 comments:

कविता रावत said...

नवरात्र पर बहुत सुन्दर प्रेरक रचना प्रस्तुति हेतु आभार!
नवरात्र की हार्दिक मंगलकामनाएं!

कविता रावत said...

नवरात्र पर बहुत सुन्दर प्रेरक रचना प्रस्तुति हेतु आभार!
नवरात्र की हार्दिक मंगलकामनाएं!