सत्ता का लालच देखो
देखो इनकी मंशा
नहीं किसी को छोड़ा इन्होने
भारत माँ तक को है डंसा
आरक्षण पर राजनीति खेल रहे
कर रहे देश के टुकड़े
जात पात में हमको बाँट रहे
कर रहे धर्म के टुकड़े
सूखे की राजनीति खेली
खेली इन्होने लहू की होली
दम्भ के ठहाकों के बीच
कर रहे मृतात्मा पर ठिठोली
नहीं इन्हें कोई लज्जा
धर्म को बना दिया है कर्जा
कहते खुद को धर्मनिरपेक्ष हैं
करके धर्मों का बंटवारा
इनकी सत्ता का लालच देखो
इनकी मंशा क्या है जानो
चुनाव में मत देते हो तुम
उससे पहले प्रत्याशी को तो जानो॥
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