Monday, October 12, 2015

सत्ता का लालच देखो

सत्ता का लालच देखो 
देखो इनकी मंशा 
नहीं किसी को छोड़ा इन्होने 
भारत माँ तक को है डंसा 

आरक्षण पर राजनीति खेल रहे 
कर रहे देश के टुकड़े 
जात पात में हमको बाँट रहे 
कर रहे धर्म के टुकड़े 

सूखे की राजनीति खेली 
खेली इन्होने लहू की होली 
दम्भ के ठहाकों के बीच 
कर रहे मृतात्मा पर ठिठोली 

नहीं इन्हें कोई लज्जा 
धर्म को बना दिया है कर्जा 
कहते खुद को धर्मनिरपेक्ष हैं 
करके धर्मों का बंटवारा 

इनकी सत्ता का लालच देखो 
इनकी मंशा क्या है जानो 
चुनाव में मत देते हो तुम 
उससे पहले प्रत्याशी को तो जानो॥ 

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