नैन ताके राह किस गुजरिया की
छोड़ मँझधार हुई मैं पिया की
नहीं मोहे अब बैर किसी से
नाहीं चाहूँ मैं देवोँ की डगरिया
पिया संग है मोहे अब जीना
पिया के लिए धड़के अब मोरा जियरा
रूठे देव तो रुठने दो उनको
मनाऊँगी उनको पिया माना है जिनको
कहे अब नैन ताके राह तिहारी
काहे मन हुआ जाए है व्याकुल
आज मिलन है पिया संग मोरा
क्या इसी कारण ओढ़ाया है कोरा??
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