Monday, October 21, 2013

हृदयनाद

चित्कार आज मष्तिस्क में है
जीवन हाला पी जाने की
कि कैसे करूँ मैं खाली ये प्याला
हो रहा कहीं नव जीवन कोपलित

ह्रदयनाद भी हो रहा इस प्रकार
नहीं रहा अब जीवन से सम्बन्ध
अश्रुओं की माला मैं पीरों रहा
पर कैसे करूँ खाली ये प्याला

राह नहीं मिलती मुझे अब
भटक गया हूँ मैं जीवन में
नहीं अब कोई ध्येय मेरा
फिर भी कैसे करूं खाली ये प्याला

कि हो रहा कोपलित एक जीवन
वह जीवन है चाह मेरी
हृदयनाद है पीने का जीवन हाला
पर कैसे करूं मैं खाली ये प्याला||

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