Monday, October 21, 2013

सबसे बड़ी चुप

छल कपट की दुनिया है
हर एक है दूसरे से आगे
बस कोई कह जाता है अपनी विपदा
कोई शांत सहता रहता है सर्वदा

स्वर ऊँचा कर कहते हैं जो
क्या दबा जाते हैं छल अपना
क्या अपने मीठे शब्दों में 
कपट छुपा जाते हैं अपना

शांत कहीं कोई है जग में
तो नहीं उसके ये माने
कि उसका सच उसका कपट है
कि करता है वो हर पल छल

सहिष्णुता का गागर है उसमें  
सह जाएगा शब्दों का विषधर
हर लांछन का होगा एक ही उत्तर
कि लांछन भी तो है जीवन सा नश्वर


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