Monday, April 8, 2013

दिल तन्हा है

आज फिर दिल तन्हा है
तेरे साथ भी तन्हा
तेरे इन आंसुओं में डूबा
फिल आज फिर तन्हा है

जाने जैसे तुझे बताऊ
कि तेरे इश्क में सराबोर
दिल आज फिर तन्हा है
तेरे साथ को तरसता 
दिल आज फिर तन्हा है

कैसे तुझे मैं यकीन दिलाऊं 
कि हर पल मैं तुझे चाहता हूँ
तेरे साथ हर पल ख़ुशी है
फिर भी तेरे साथ को तरसता 
दिल आज फिर तन्हा है

कैसे चुकाऊं क़र्ज़ तेरे इन आंसुओं का
कैसे चुकाऊं मोल मैं तेरी तन्हाई का
कि दिल मेरा फिर आज तन्हा है
तेरे साथ को तरसता ये बेजुबान
आज फिर तन्हा है

चाहा तुझे जान से बढ़कर
फिर भी तेरी तन्हाई का गुनागार हूँ
तेरे साथ हो कर भी 
तेरी खुशियों का मैं कातिल हूँ
और आज फिर तेरे साथ को तरता 
बेजुबान ये दिल क्यूँ तन्हा है..

No comments: