Friday, November 27, 2009

शत शत नमन है उस वीर को - Tribute to the Heros of 26-11

शत शत नमन है उस वीर को
जीवन जिसने अपना बलिदान किया
मातृभूमि के सम्मान में
सर्वस्व अपना त्याग दिया
निडर निर्भीक हो कर
शत्रु पर उसने वार किया
विजय की और अग्रसर हो
इसी सोच का आलाप किया
शत शत नमन है उस वीर को
मातृभूमि की रक्षा में
जिसने जीवन का परित्याग किया
अभिनन्दन है उस वीर को
रक्त से अपने विजय तिलक
जिसने मातृभूमि को अर्पित किया

Saturday, November 14, 2009

कशमकश

सोचते हैं अक्सर
कि कुसूर क्या है हमारा
यूँ क्यों होता है दर्द दिल में
कहते हैं फलसफा ज़िन्दगी का
आज जब कहा उनसे
कि दिक्कते यूँ पेश आती हैं
कह दिया उन्होंने भी
वही शिकवा हमसे
रुसवा ईन हो गए वो
कि मोड़ लिया रुख हमसे
सोचा न एक पल को
की हम कहाँ जाएंगे
छोड़ हमें चले वो राह अपनी
ना जाने कब आएँगे
ज़िन्दगी तुझसे क्या कहें हम
कि सोचते हैं अक्सर यूँही
मिलेगा कभी कोई हमें
जो सुन सके दास्ताँ हमारी

Wednesday, November 11, 2009

युद्ध का उदगार

प्रखर प्रभद्ध ललाट पर रक्तिम तिलक की छाप है
युद्ध को अग्रसर वीर अश्व पर सवार है
हाथ में लिए वो खडग, कृपाण, कटार है
नेत्रों के उसकी मातृभूमि का सम्मान है

मस्तक पर उसके रणविजय का प्रताप है
कालसर्प सी लहराती उसकी तलवार है
कटार पर उसकी विजय की धार है
बाजुओं में लिए विजय का प्रमाण है

धरा ने किया जो आज ये रक्तपान है
वीर के रण धर्म में उसका रूप विशाल है
काली के श्रृंगार में उसका योगदान है
प्रखर प्रभद्ध ललाट पर रक्तिम तिलक की छाप है

रक्तबीज रक्तपान युद्ध का कोहराम है
संस्कृति के चक्र में इसका एक स्थान है
मानव के ह्रदय का ये एक उदगार है
उन्नति के पथ पर ये एक अर्धविराम है

प्रखर प्रभद्ध ललाट पर रक्तिम तिलक की छाप है
युद्ध को अग्रसर वीर अश्व पर सवार है




Tuesday, November 10, 2009

वर्षा ऋतू में जीवन का श्रृंगार हुआ

वर्षा ऋतू में क्या कहें
जीवन में हुई हलचल है
काली इन घटाओं को देख
तुम्हारी घनी लटों का आभास हुआ
यूँ बूंदे जब गिरी वृक्षों पर
तुम्हारे आलिंगन का आभास हुआ
नाचते मयूर को देख
ये ह्रदय भी पागल हुआ
वृक्षों से गिर जब धरती में सिमटी बूँदें
मेरे अंतर्मन में तेरे ही नाम कि पुकार हुई
पानी जब पहुँचा धरातल में
सींचा हर जड़ को उसने
बीज जो दबे थे धरती के गर्भ में
उनमें भी उन्माद हुआ
अंकुर फिर पनपा उनमें
तो धरती का श्रृंगार हुआ
देखो तो इन कोपलों से
एक नए जीवन का आधार हुआ
क्या कहूँ मैं तुमसे प्रिये
कि वर्षा ऋतू में जीवन का श्रृंगार हुआ

Wednesday, October 28, 2009

Butterflies

Butterflies Butterflies, don't wink on my eyes,
the wink of my eyes send shivers down my spine
the shiver down my spine makes me go weak in my knees
when I go week in my knees, I tend to bend down
when I bend down, I tend to sit on ground
when I sit on ground, I love to pick you
when I pick you, you again make me wink
when you make me wink, my cheeks go pink
Butterflies Butterflies, don't wink on my eyes

Tuesday, September 15, 2009

The Pain of the Soul

No one knows Souls' color
it is like an evergreen flower
but at times it turns dark
for the words make a mark

though the soul is too strong
can't be pierced even by a prong
but the words do have an effect
harsher they are harsher is impact

when the soul is in pain
you won't get wet even in rain
even the loveliest of cruise
won't ever heal souls' bruise

what for the soul is hurt
you don't need to be curt
be gentle and sober
not rude with return pain to offer

the pain of the soul
doesn't want you to cry foul
if your soul is hurt by someone
doesn't mean you rspect noone.

Friday, August 28, 2009

The Dilemma to Return

When I first left home
I went under the dome
from there went to Rome
to buy things of Chrome

the world kept pulling me
down I went on my knee
to find the love of life
wanted her to be my wife

but then off she went
though in front of her I bent
bent to to plead her to stay
bent to stop her in her way

Nothing worked as I wanted
her effect just haunted
Am now at a juncture
need to ensure and figure

Where do I head from here
Go home or stay somewhere near
To wait for her to come back
of this feeling is just to sack

Monday, July 20, 2009

Your Love for me

When I think about you today
I don't see you walking the way
they way that leeds to me
and it poses questions for thee

When I think of you love
it frames a picture of dove
who can't be separated
who can't be deserted

But is it the same feeling
it is the thought that's reeling
in your mind too
for us to be inseparable two

When I think of you today
I don't find you the same way
I miss the way you loved me
there is the question for thee

I can't think other than you
do you think the same way I do
I am unable to understand
where in your life I stand

There is so much to resolve
it is a puzzle I'm trying to solve
its your love for me
that's raising questions for thee

No one can help me when I dwindle
its only you who can solve this riddle
waiting for an answer from thee
as its the question on your love for me

Thursday, July 16, 2009

Getting Back with her

How do I tell her
how I miss being with her
how I miss being around her
how I miss being next to her

How do I tell her
how much she means to me
how much she is part of me
how much her being around is to me

How do I tell her
to come back to be with me
to share this journey of life with me
to make my life complete with her love

Its so hard to find the way
to get her back in my life
to be in her arms for solace
to look in those hazel eyes to sink

but that's my motto of life
Getting with her being my wife

Saturday, June 6, 2009

खड़े सिफर की कगार पर

खड़े हैं सिफर सी जिंदगी के मोड़ पर
आशय विहीन राह कि खोज पर
देखते कतरे ज़िन्दगी के बिखरते
मानो है कोई कश्ती तूफ़ान में डूबते उतरते

है एक इशारा ये खुदा का
कि ना समझ पाएंगे क्यूँ हुआ इतना फख्र
है फ़िर भी दिल में ये जज्बा
कि मिलेगी राह एक आगाज़ को

अपनी मुस्कराहट से क्या तुम दिला सकते हो यकीन
कि एक पल के लिए है कोई उम्मीद हसीं
मंजर कुछ ऐसा है कि तुम आते नहीं नज़र
कुछ दिखता है तो है वो तुम्हारा अक्स शामों सहर

है एक इशारा ये खुदा का
कि ना समझ पाएंगे क्यूँ हुआ इतना फख्र
है फ़िर भी दिल में ये जज्बा
कि मिलेगी राह एक आगाज़ को

नहीं अब हमारा खुदपर काबू
नहीं आता समझ है क्या सच क्या झूठ
रात सा अँधेरा होता है हर वक़्त महसूस
डूबता नज़र आता है ज़िन्दगी का हर रूप

है एक इशारा ये खुदा का
कि ना समझ पाएंगे क्यूँ हुआ इतना फख्र
है फ़िर भी दिल में ये जज्बा
कि मिलेगी राह एक आगाज़ को