Thursday, September 12, 2019

राजनीति का अधर्म

राजनीति का अधर्म है यह 
या है अधर्म की राजनीति 
नैतिकता जहां लगी दांव पर 
व्यक्तित्व का जहां हुआ संहार 

आलोचना जो करनी थी नेता की 
कर बैठे नीतियों का मोल 
व्यक्ति विशेष पर करनी थी टिप्पणी 
कर बैठे राष्ट्र का अपमान 

इतना भी क्या घमंड वर्षों का 
इतना भी क्या दम्भ पैसों का 
इतना भी क्या मोह सत्ता का 
इतना भी क्या घमंड पद का 

राजनैतिक अधर्म नहीं तो क्या है 
कि करते हो तुम राजद्रोह 
अधर्मी राजनीति नहीं तो क्या है 
कि करते हो तुम सत्ता से मोह 

राजनीति का धर्म यदि है कोई 
तो है राष्ट्र की सेवा 
नहीं राजनीति में ऐसा कोई  मोह 
जो खिलाए तुम्हें केवल मेवा

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