Friday, June 29, 2018

कोमलाँगी

गरज बरस मेघा सी क्यों लगती हो
चमक दमक बिजली सी क्यों चमकाती हो
क्यों काली घटाओं सा इन लटों को घुमाती हो
क्यों अपने नेत्रों से अग्निवर्षा करती हो

अधर तुम्हारे पंखुड़िया से कोमल हैं जो
उन अधरों से क्यों घटाओं सी गरजती हो
नेत्र विशाल कर माथे पर सलवटें
क्यों माश्तिष्क से विकार जागृत करती हो

हृदय से कोमलाँगी जो हो 
क्यों हृदय को शीर्ष पर पहुँचाती नहीं
नेत्रो से अधरों तक सुंदर 
क्यों नेत्रों से प्रेम वर्षा करती नहीं 

कैसे इस ललाट पर शिवनेत्र जगाकर
स्वयं में स्वयं को लुप्त करती हो
क्यों सरस्वती लक्ष्मी सी अपनी देह को
काली का स्वरूप दे जाती हो

गरज बरस मेघा सी क्यों लगती हो
चमक दमक बिजली सी क्यों चमकाती हो
नेत्रो से अधरों तक सुंदर 
क्यों नेत्रों से प्रेम वर्षा करती नहीं

सफलता के साधक

क्या तुम सोचते हो क्या चाहते हो 
कभी किसी कदम पर क्या पाते हो 
जीवन के पथ पर किस और जाते हो 
हर पल जो करते हो वही पाते हो 

अथक प्रयन्त कभी निरर्थक नहीं होते 
फल की आशा से कभी स्वप्न नहीं बुनते 
निरंतर प्रयास ही सफलता का साधन हैं 
असफलता के द्वार कभी आस नहीं छोड़ते 

कथनी से करनी बड़ी होती है 
अभी करनी को कथनी के सुपर्द नहीं करते 
निरर्थक मान प्रयन्त कभी अधूरे नहीं छोड़ते 
कभी किसी के प्रयत्नों का अपमान नहीं करते 

क्या तुम चाहते हो क्या पाते हो 
जीवन के पथ पर किस और अग्रसर होते हो 
निष्चय यह तुम्हारे प्रयत्न करते हैं 
कभी प्रयत्नों को अधूरा नहीं छोड़ते 

कथनी को करनी पर कभी हावी नहीं करते 
अपनी सोच को कभी ऋणात्मक नहीं करते 
अग्रसर होना है यदि जीवन में 
असफलता के द्वार पर कभी आस नहीं छोड़ते 

जीवनसंगिनी

धरा की धरोहर सा संजोया जिसे 
अंतर्मन में बसा आत्मा बनाया जिसे 
स्वयं को छोड़ अपनाया जिसे 
तुम्ही हो अर्धांगिनी मैंने बनाया जिसे 

परमात्मा के परोपकार से जो मिली 
धर्मात्मा के आशीर्वाद से जो मिली
अग्नि के साक्ष्य में जो मिली 
वही हो तुम तो मेरी जीवनसंगिनी बनी 

कहीं तुम्हारी सफलता ही है लक्ष्य मेरा 
जीवन द्वंद्व तो मात्र है समय का फेरा 
नहीं बनाने दूंगा मष्तिस्क की चिंताओं का डेरा 
सफल हो तुम यही ध्येय है मेरा 

चिंतन मनन में तो तुम मेरी संगिनी
तुम्ही हो जिससे है मेरी जीवन रागिनी 
कहीं दूर स्वप्न सा जो है दिखता 
वही है द्वार जिसमें मेरा विश्व है बसता 

संग मेरे ही तुम चलो सदा 
पथ कठिन होगा बनो तुम सहारा 
संग चलते हुए बल ही मिलेगा 
स्वप्न संग चलकर ही साकार होगा 

अंतर्मन में बसा आत्मा बनाया जिसे 
स्वयं को छोड़ अपनाया जिसे
अग्नि के साक्ष्य में जो मिली 
वही हो तुम तो मेरी जीवनसंगिनी बनी

Beloved Wife

You are the one and only
With whom I am never lonely
You are the one and only
With whom I feel homely

You make me feel loved
You make me feel blessed
You are the one and only one
With whom I have a home

Never would I defy the God
Should he tell me to make an abode
I shall duly fulfil his command
And never would I demand

With you I shall be make my life
For you are my beloved wife
You are the one and only
With whom I never feel lonely