This Blog is collection of my poems that come to my mind on the situational feelings / thoughts that cross through my mind. They are either based on real life event or are based on inspirational line from my readings. They are just the work of art & have No connection to My personal Life in General. 20/11/2012 - Even though I had stated that my poems are just work of art, but some of my poems have been Presented Negatively so I have taken them off
Monday, August 29, 2016
Game of Love
हृदय पीड़ा
ता ज़िन्दगी मैं सुनता रहा
ता ज़िन्दगी मैं खामोश रहा
खामोश दर्द में जीता रहा
क़ि सोचता था कभी ज़िन्दगी में
मैं हाल-ए-दिल बयां करूँगा
सुनते सुनते होश खो गए
हाल-ए-दिल बयां ना हुआ
दर्द अपनी हद से आज़ाद हुआ
फिर भी शब्द जुबां पर ना आए
आज सोचा था मेरे अपने होंगे
जो मुझमें एक इंसां देखेंगे
शायद वो मुझे समझेंगे
कभी बैठ साथ मेरी सुनेंगे
जब प्लाट देखा मैंने ज़िन्दगी को
पाया, ता ज़िन्दगी मैं सुनता रहा
खामोशियों में जीत रहा
कहने को अब, ना कोई मेरा अपना रहा।।
Monday, August 15, 2016
When in Life
When in life I wanted to convey
Lost I was for those thoughts
When I wanted to say something
Lost I was for those words
It was a paradigm shift for me
It was a sea of change
Lost I was to learn the way
You wanted me to convey
It is my love for you today
That holds me by the bay
It is my love for your being
That hold me from fleeing
It is all about love and care
That I wanted to convey and share
But you never showed that willingness
To listen to me with promptness
Whenever I wanted to convey
I never found my way
To be next to you my love
To be in your arms to say!!
जीवन द्विविधा
कहने को बहुत कुछ था
लेकिन सुनाते किसको
जिन्हें जीवन का आधार समझा
उन्होंने हमें कभी ना समझा
जिस दर पर आज हम हैं
उस दर को खोलेगा कौन
जिस राह हम चल रहे हैं
उसपर राहगुज़र बनेगा कौन
कहने को बहुत कुछ था
किन्तु आज सुनेगा कौन
करने को भरोसा तो है
किन्तु हमपर भरोसा करेगा कौन
इष्ट को अपने हम पूजते हैं
किन्तु हमारा इष्ट है कौन
जिसे जीवन की डोर सौंपी थी
उसे हमारा बनाएगा कौन
कहने को बहुत कुछ था
किन्तु उन्हें बताएगा कौन
संग उनके रहना चाहते हैं
किन्तु उन्हें मनाएगा कौन!!