Wednesday, June 3, 2015

वक्त का तकाज़ा

दिल में  यादें बसी हैं
कसक बन गयी अधूरी तमन्नाएँ
वक्त का तकाज़ा है शायद
कि दवा भी आज दर्द दे गयी


यादों में आज भी ताजा है
वक्त वो, जो गुजर गया कहीं
 यादों में आज भी ताजा है
वक्त वो जब हम तन्हां नहीं थे


एक था वक्त उन दिनों
जब दोस्तों के संग मिल बैठते थे
अब वो वक्त है संगदिल
कि दोस्तों का दीदार मुनासिब नहीं


एक वो वक्त था हमारा
कि तन्हाई को हम ढूंढते थे
और अब ये वक्त है आज का
जब तन्हाई में ज़िन्दगी बसर करते हैं


कि तब तन्हाई में वक्त गुजरता नहीं था
अब है कि हर आलम तन्हां तन्हां सा है
इंसानों के बीच रहकर भी
दिल हमेशा तन्हां तन्हां सा है


मशीनो के रहकर इन्सां
खुद एक मशीन बनकर रह गया है
ज़िन्दगी के मुकाम पर बढ़ते
खुद तन्हाई की मिसाल बन गया है


एक वो वक़्त था कभी हमारा
जिसकी यादें आज भी साथ हैं
आज ये वक़्त है कुछ ऐसा
जिसकी हर याद तन्हाई ही है!!!


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