Saturday, June 22, 2013

तुझसे प्यार है

गर कभी सुनो आह मेरी
तो समझना मुझे तुमसे प्यार है
गर कभी जुबां खामोश हो
तो समझना मुझे तुमसे प्यार है
गर मैं दर-ओ-दीवार को देखूं
तो समझना मुझे तुमसे प्यार है
गर रात में चाँद को देखूं
तो समझना मुझे तुमसे प्यार है
इश्क की अपने मैं क्या दास्ताँ कहूँ
कि मुझे तुमसे बेइन्तेहाँ प्यार है
ज़िन्दगी के हर पल में जो तू है
हर उस पल हर लम्हे से मुझे प्यार है
ज़िन्दगी में बस तेरा साथ मैं चाहूँ
कि मुहे हर पल सिर्फ तुझसे ही प्यार है
ज़िन्दगी के बुझते दिए को
बस तेरा ही इंतज़ार है||

1 comment:

Rajnii said...

AWESOME AND TOUCHING