गर कभी सुनो आह मेरी
तो समझना मुझे तुमसे प्यार है
गर कभी जुबां खामोश हो
तो समझना मुझे तुमसे प्यार है
गर मैं दर-ओ-दीवार को देखूं
तो समझना मुझे तुमसे प्यार है
गर रात में चाँद को देखूं
तो समझना मुझे तुमसे प्यार है
इश्क की अपने मैं क्या दास्ताँ कहूँ
कि मुझे तुमसे बेइन्तेहाँ प्यार है
ज़िन्दगी के हर पल में जो तू है
हर उस पल हर लम्हे से मुझे प्यार है
ज़िन्दगी में बस तेरा साथ मैं चाहूँ
कि मुहे हर पल सिर्फ तुझसे ही प्यार है
ज़िन्दगी के बुझते दिए को
बस तेरा ही इंतज़ार है||
1 comment:
AWESOME AND TOUCHING
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