Sunday, November 18, 2012

जीवन आस

जीवन जो कभी नीरस था
जिसमें केवल एक दर्द था
लगता आज फिर सुखमय है
उसमें तेरे आने से एक आस है

दर्द जो था सिने में दबा
जिसमें थी एक जीवंत अगन
आज वो अगन शांत है 
ना उसमें अब एकांत है

प्रेम की फिर है एक ज्वाला जली
जीवन की फिर एक राह ढली
सुख फिर एक बार है लौट आया
जीवन में फिर एक बहार लाया

ना अब किसी दर्द की अनुभूति है
ना एकांत का जीवन में निवास
अब जीवन केवल गतीमान है
उसमें सिर्फ तेरे आने की है आस||

1 comment:

Anonymous said...

Nc 1 after long tym. WB!!