Wednesday, June 15, 2011

अश्रुधारा

जब ह्रदय में हो पीड़ा
जब मन में हो घृणा
दिखे  हर और जब अंधियारा
बहती है नैनों से अश्रुधारा

नहीं हो काबू जब क्रोध पर
कठिन लगे जब राह हर
कठोर हो अपने जैसे है धरा
बहती है नैनो से अश्रुधारा

विचारों का हो जब अतिक्रमण
करे जब मष्तिष्क अत्यधिक भ्रमण
ना दिखे जीवन में कोई और चारा
बहती है नैनो से अश्रुधारा

बहती बहुत है नैनो से अश्रुधारा
कि ना लगे जग न्यारा
ना लगे जीवन फिर प्यारा
ना रहे कोई दुलारा

अश्रुधारा को तुम रोक सकोगे
जीवन  को भी भोग सकोगे
अगर त्याग कर सको आशाएं
अगर दूर कर सको ये बाधाएं

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