Tuesday, May 17, 2011

आशियाँ

तिनका तिनका जोड़ आशियाँ यूँ सजाना
ना हो कोई रुसवा न रहे कोई कहीं तन्हा
ख्वाबों को भी कुछ इस कदर सजाना
की आँखों की राह ना टूटे दिल का अफसाना 

ऐ राहगुजर, राहगीर में ना ढूंढ हमसफ़र
कि राह से यूँ  बेगार बेवजह ना गुजर
जीना मरना तो इस कायनात का खेल है
इसे तू अपनी आह से ना जोड़ राहगुजर
तिनका तिनका जोड़ आशियाँ यूँ सजाना
कि हर राहगुजर तेरे ही आशियाँ को ताके
तिनका तिनका जोड़ आशियाँ यूँ सजाना
ना हो कोई रुसवा न रहे कोई कहीं तन्हा

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