Saturday, April 29, 2017

सिंगार

कोई बादर गरजे, कहीं बिजुरिया चमके 
जब तेरा कंगना खनके 
अंगना मेरा महके, चिड़िया वहां चहके 
जब पायल तेरी छमके 

झुमका तेरा मचाये शोर 
बिंदिया तेरी उड़ाए निंदिया 
अधरों पर तेरी गुलाब सी लाली 
नैना जैसे हो काजर से काली 

गजरे से तेरे उठी वो महक 
ह्रदय भी उससे गया चहक 
ना कोई बदरा ना कोई बिजुरिया 
सिंगार में तू लगे है कोयलिया 

कहीं बादर गरजे, कहीं बिजुरिया चमके 
जब तेरे पैरों में पायल खनके 
हर क्षण घर मेरा महके 
जब तू मेरे अंगना में चहके|| 

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