Sunday, January 18, 2015

ज़िन्दगी की ज़ुत्सजु

ज़िन्दगी की जुत्सजु में हुआ है कमाल
ज़िन्दगी को ही जीने की चुनौती दिए बैठे हो
ज़िन्दगी की हर चाल तुम्हारे लिए है
और तुम उस चाल पर भी अपनी चाल लिए बैठे हो

क्या ज़ुल्म ज़िन्दगी तुमपर करेगी 
तुम खुद अपनी हार की माला लिए बैठे हो
ज़िन्दगी से इस द्वंद्व में लड़ ज़िन्दगी से
तुम खुद अपनी असफलता संवार बैठे हो

गर गिरेबां में अपने झाँक कर देखोगे
हर लुत्फ़ ज़िन्दगी से उधार लिए बैठे हो
ये आशियाँ, ये लम्हें, ये वादियाँ
ज़िन्दगी ने ही तुम्हारी इससे तुम्हें नवाज़ा है

ना ज़िन्दगी को यूँ तुम दो चुनौती
कि ज़िन्दगी चुनौतियों से जूझना है सिखाती
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर कोई सबक
ज़िन्दगी तुम्हें है सिखाती

ना यूँ करो तुम ज़िन्दगी से कोई शिकवा 
कि ना यूँ करो तुम उसे बेज़ार
अपने ही गिरेबान में एक बार झाँक कर देखो
ज़िन्दगी से तुम लिए बैठे हो ज़िन्दगी उधार||

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