Wednesday, November 3, 2010

दास्तान आंसुओं की

आंसुओं की दास्ताँ न पूछ मुझसे
कि आंसू तो यूँही निकल पड़ते हैं
थामना भी चाहूँ इन्हें
मगर तेरी याद में बह निकलते हैं

3 comments:

Vaibhav Bhandari said...

Wah! ustad, Wah!

Mayank said...

許百美 Thanks

Mayank said...

वैभव - धन्यवाद :)