आज अम्बर में उड़ते
मंजर यूँ सामने आया
देखा का धरा का जो रूप
ह्रदय आनंदित हुआ
बादलों की चादर ओढे
अम्बर से मैं चला
चादर ज्यों हटती
देखता धरा पर तुषार धवल
तुषार धवल की परतों से
दिखती वृक्षों की शाखाएं
वृक्षों की शाखाओं तले
दिखती मानव बस्ती
प्रकृती और मानव की रचना के
देख मेल को ह्रदय उल्लासित हुआ
देख अम्बर से तुषार धवल
बादलों में ह्रदय हुआ चकित
मंजर यूँ सामने आया
देखा का धरा का जो रूप
ह्रदय आनंदित हुआ
बादलों की चादर ओढे
अम्बर से मैं चला
चादर ज्यों हटती
देखता धरा पर तुषार धवल
तुषार धवल की परतों से
दिखती वृक्षों की शाखाएं
वृक्षों की शाखाओं तले
दिखती मानव बस्ती
प्रकृती और मानव की रचना के
देख मेल को ह्रदय उल्लासित हुआ
देख अम्बर से तुषार धवल
बादलों में ह्रदय हुआ चकित