गर अपने होंठो पर सजाना है तो खुदा कि इबादत को सजा
गर कुछ गुनगुनाना है तो जिंदगी के नगमें गुनगुना
कि ये सफर नहीं किसी सिफार कि कगार का
जानिब ये है अक्स तेरी ही शक्शियत का
जिंदगी का मानिब समझ ऐ राहगुज़र
कि राह में थक कर मंजीलें नहीं मिलती
समझ बस इतना लीजे ऐ खुदा के बंदे
कि यादों में तो गैर बसा करते हैं
जा तू अपनों के दिल में बसर कर
जिंदगी का मानिब समझ ऐ राहगुज़र
कि गुनगुनाना है कुछ तो जिंदगी के नगमें गुनगुना
गर अपने होंठो पर सजाना है तो खुदा कि इबादत को सजा
गर कुछ गुनगुनाना है तो जिंदगी के नगमें गुनगुना
कि ये सफर नहीं किसी सिफार कि कगार का
जानिब ये है अक्स तेरी ही शक्शियत का
जिंदगी का मानिब समझ ऐ राहगुज़र
कि राह में थक कर मंजीलें नहीं मिलती
समझ बस इतना लीजे ऐ खुदा के बंदे
कि यादों में तो गैर बसा करते हैं
जा तू अपनों के दिल में बसर कर
जिंदगी का मानिब समझ ऐ राहगुज़र
कि गुनगुनाना है कुछ तो जिंदगी के नगमें गुनगुना
गर अपने होंठो पर सजाना है तो खुदा कि इबादत को सजा